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________________ 'अहिंसा वाणी' के विषय में १–'अहिंसा-वाणी' का उद्देश्य सत्य-अहिंसा द्वारा विश्व में सुख, समृद्धि, शान्ति ___की सृष्टि के लिए तदनुकूल स्वस्थ ज्ञान सामग्री देना है। २–'अहिसा-वाणी' प्रत्येक माह के द्वितीय सप्ताह में प्रकाशित होती है। पत्रिका नहीं पहुंचने की शिकायत ३०वीं तारीख तक पहुँचना आवश्यक है। ३–पत्र व्यवहार में अपनी ग्राहक संख्या अवश्य लिखें ! ४ -किसी भी माह से ग्राहक बन सकते हैं । अप्रैल से बनना सुविधाजनक होगा। ५-आलोचनार्थ पुस्तकों की दो प्रतियाँ सम्पादक जी को भेजनी चाहिए । अालोचना करना सम्पादक के सर्वाधिकार में है। ६-पत्र में शिष्ट अादर्श एवं स्वस्थ विज्ञापन ही लिए जावेंगे । विज्ञापन दर पत्र द्वारा पूछ सकते हैं। ७-अहिंसा-संस्कृति एवं जैन-दर्शन को व्यवहारोपयोगी बनाने के लिए तत्सम्बन्धी शंकायों का समाधान भी यथासम्भव पत्रिका में किया जावेगा । पाठक शंकाएँ सम्पादक को भेजें। ८-प्रकाशनार्थ रचनाएं पत्र के उद्देश्य से सम्बन्धित होनी चाहिए तथा सम्पादकजी के पास भेजनी चाहिए। निबन्ध, कहानी, एकांकी, कविता, गद्य गीत, के गद्य काव्य आदि सभी प्रकार की रचनाओं का स्वागत किया जायेगा । रचनाएँ साफ सुथरी तथा पृष्ठ के एक ही पोर लिखी जानी चाहिए। अस्वीकृत रचना की वापिसी के लिए डाक खर्च संलग्न होना आवश्यक है। -समस्त पत्रव्यवहार का पता--'अहिंसा-वाणी' कार्यालय, अलीगञ्ज (एटा) उ० प्र०॥ “दी वायस आव अहिंसा” THE VOICE OF AHINSA विश्व-शान्ति एवं मानवता का सर्वोच्च स्वर देश-विदेश के ख्याति-लब्ध लेखकों की अमूल्य कृतियों से अलंकृत अहिंसा संस्कृति एवं जैन-दर्शन की एक मात्र सचित्र द्विमासिक पत्रिका यदि आप अभी तक इस पत्रिका के ग्राहक न बने हों तो अहिंसा-प्रसारार्थ अविलम्ब ही छः रुपए ६) का मनीआर्डर भेजकर ग्राहक बन जाइए। व्यवस्थापक दी 'वायस श्राव अहिंसा'-कार्यालय अलोगञ्ज, (एटा) उ० प्र०
SR No.543515
Book TitleAhimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size30 MB
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