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________________ * रिपोर्ट तृतीय वर्ष श्री अखिल विश्व जैन मिशन का समाधान कराया । आपका उत्साह पूर्व है । श्री जे० पी० जैन ने भी सहयोग प्रदान किया । (११) पानीपत के उत्साही संयोजक श्री रूपचंद जी गार्गीय ने प्रचार में पूर्ववत् भाग लिया, यद्यपि आप का स्वास्थ्य इस वर्ष ज्यादा ठीक न रहा । श्री जयभगवान जी ने साहित्य निर्धारण में पूर्ण सहयोग दिया । (१२) मेरठ में श्रीमती शान्ति कुमारी जी ने अपनी सखियों में साहित्य वितरण किया एवं विशेष जिज्ञासुत्रों जैसे डॉ० ऐहबे और श्री मेहरा को जैन सिद्धान्त के गहन ग्रंथ मिशन केन्द्र से मँगवा कर पढ़ने के लिये दिए । (१३) रोहतक में श्री बाबू नानक चन्द्र जी एडवोकेट ने 'वायस' का प्रचार करने में सहायता दी एवं प्रचार किया । (१४) बनारस में श्री नेमि कुमार सम्मेलनों में साहित्य वितरण किया । (१५) एटा में उत्साही युवक श्री रतन जी ने उत्साह से प्रचार किया और पंचकल्याणकोत्सव पर मिशन केन्द्र का उद्घाटन उत्सव रा० सा० श्री सेठ मटरूमल जी बेनाड़ा के सभापतित्व में सम्पन्न कराया । उसी समय अपनी साहित्य प्रदर्शनी भी रक्खी थी, जिसका प्रभाव शिक्षित जैन जनता पर अच्छा पड़ा था । (१६) कासगंज में श्री गिरीचंद्र ६६ जी पूर्ववत् कार्य कर रहे हैं । प्रचार प्रगति बढ़ाने की आवश्यकता है । (१७) टूंडला में श्री जिनेन्द्र प्रसाद जी B. Sc. उत्साह से कार्य कर रहे हैं। आपने आस पास जाकर प्रचार किया तथा टूंडला में जैन मिशन लायब्रेरी स्थापित कर के उसके द्वारा प्रचार किया है। (१८) शिकोहाबाद में श्री पुष्पेन्द्र जी उत्साह पूर्वक प्रचार कर रहे हैं । आपके उत्साह से कई जैन बंधुत्रों ने मांसमदिरा का त्याग किया है। एक काछी नियमित रूप से जैन नियमों का पालन करता है । (१६) आगरा श्री राजकुमार जी जैन और श्री मोती चन्द जी जैन प्रचार करने में संलग्न रहे । रा० सा० सेठ मटरूमल जी पहले से ही मिशन की ओर आकृष्ट है । (२०) कानपुर में श्रीमान् बाबू इन्द्रजीत जी वकील के उत्साह से सदस्य संख्या बढ़ रही है । श्रीमान् ला० कपूर चंद जी पहले ही से मिशन को सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहे हैं। आशा है, कानपुर में मिशन का नियमित केन्द्र कार्य करने लगेगा और जैन मिशन लायब्रेरी भी स्थापित हो सकेगी । (२१) देहरादून में श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने ट्रेक वितरण करके प्रचार किया । (२२) जियागंज ( मुर्शिदाबाद) के
SR No.543515
Book TitleAhimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size30 MB
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