SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * अहिंसा-वाणी . 'बह प्रायोजन अत्यधिक प्रशंनीय एवं अति उत्तम है। जीवन में अहिंसा के सिद्धान्तों का पालन करने से ही विश्व को सुख शान्ति प्राप्त हो सकती है। विश्व वंध पूज्य महात्मा गांधी जी ने अहिंसा के सिद्धांत को साकार सिद्ध कर विश्व के सम्मुख एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है। विश्व जैन मिशन के सदस्यों द्वारा प्रायोजित यह अधिवेशन पूर्ण सफल होवे, यही मेरी हार्दिक कामना है।" . श्री रूपचन्द्र जी गार्गीय, संयोजक, श्री अ०वि० जैन मिशन शाखा पानीपत , "मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि आप लोगों के शुभ प्रयाम से विश्व जैन मिशन का अधिवेशन इन्दौर नगर में मनाया जा रहा है। मेरा मन और मेरी शुभ भावनायें श्राप के साथ है। यो ती धर्म प्रचार की हर युग में अावश्यकता रहती है परन्तु श्राज के यग में जब कि मानव मानव के विनाश के कारण जुटाने में लगा हुआ है, नीति और न्याय का विवेक कम होता जा रहा है तो मानव समाज में सुख और शान्ति स्थापित करने के लिये सत्य और अहिंसा का संदेश विश्व के कोने-कोने में पहुँचाने की आवश्यकता है । जैन धर्म के नेता हमेशा से श्रा-मोन्नति के मार्ग और उसके साधन के लिये सत्य और अहिंसा का प्रचार करते चले आये हैं। जैन ममाज का भी यह --- कर्तव्य है कि श्राज की अावश्यकता को दृष्टि में रखते हुए जैन धर्म के श्रादर्श संदेश को दुनिया के कोने कोने में पहुँचा दे ताकि विश्व में सुख श्रार शान्ति स्थापित हो. सके । इसी श्राशय को लेकर श्री कामता प्रसाद जी ने जैन धर्म प्रचार के कार्य को विश्व जैन मिशन के नाम से संगठित किया है। देश विदेशों के बहुत से सजजन . उनके इस धर्म कार्य में सहयोग दे रहे हैं जैसा कि समाचार पत्रों में मिशन की रिपोर्टी में प्रकट होता रहा है। यह संस्था भारतवर्षीय अन्य जैन संस्थानों के धर्म-प्रचार-कार्य में सहायक है, उनके कर्तव्य को बहुत अंगों में पूरा कहती है इसलिये अन्य सभी संस्थाओं को इस पुण्य कार्य में अपना पूरा सहयोग देने की आवश्यकता है। श्राशा है अधिवेशन में भाग लेने वाले सभी कार्यकर्ता तथा समाज के अन्य महानुभाव इस महत्व पूर्ण कार्य के सुचारु रूप से संचालन की व्यवस्था बना देंगे। मेरो शुभ भावनायें इस महान कार्य में आपके साथ हैं।" रायसाहब श्री सेठ मटरूमल जी बैनारा, आगरा "इन्दौर नगर में श्री अखिल विश्व मिशन का प्रथम वार्षिक अधिवेशन बड़े समारोह पूर्वक हो रहा है, यह जानकर हार्दिक हर्ष हुआ। परमगवन जैन धर्म के विश्व कल्याणकारी सिद्धान्त विश्व के प्राणीमात्र को सुलभ हो जावें, एतदर्थ कोई हुगम और सर्वप्रिय योजना अत्यंत आवश्यक है, मैं मिशन के अधिवेशन की हार्दिक सफलता चाहता हूँ।"
SR No.543515
Book TitleAhimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy