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________________ स्वागत भाषण (श्री अखिल विश्व जैन मिशन के स्वागताध्यक्ष पद से दिया गया श्री राजकुमार सिंह जी एम० ए० एल-एल० बी०, एफ० आर० ई० एस० का भाषण ) श्रद्वेय अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री मिश्रीलालजी मुख्यमंत्री -मध्यभारत, सम्माननीय अतिथिगण, कार्यकर्त्ताओं महिलाओं एवं बन्धुओं ! आज प्रातः स्मरणीय देवी अहिल्याबाई की इस महिमामयी, गौरवशाली और रम्य नगरा इन्दौर में आप समस्त महानुभावों का स्वागत करते हुए मेरे हृदय में अपार हर्ष तथा आनन्द का अनुभव हो रहा है । इस अधिवेशन को स्वागत समिति ने आप सब सज्जनों की स्वागत सेवा का कार्य मुझे सौंपा है । स्वागत समिति द्वारा दी गई, प्रेम पूर्ण जवाबदारो को अपनी अपूांता के रहने निभा सकूंगा या नहीं, इसमें मुझे संदेह है । विश्वास है कि आप न्यूनताओं के लिए मुझे क्षमा करेंगे | 1 जी "अखिल विश्व जैन मिशन" का यह प्रथम अधिवेशन हो रहा है । मिशन का जन्म एक पवित्र और • महान संकल्प को लेकर हुआ है । विगत कुछ सताब्दियों से संसार आध्यात्मिक मार्ग से भटककर केवल भौतिक सुखों को प्राप्त करने के लिये तेजी से बढ़ा जा रहा है । यद्यपि यह निश्चित है कि संसार में शांति, सुख और कल्याण आध्यात्मिक मार्ग से ही सम्भव है, भौतिकता के बलपर कमी नहीं, तो भी मानव प्रवृत्तियां उसी ओर बही चली जा रही हैं और इसका अन्तिम परिणाम बर्बरता, सर्वनाश या प्रलयंकारी महानाश के सिवा और नहीं हो सकता । ऐसी स्थिति में मिशन के जन्मदाताओं ने और मुख्यतः हमारी जैन संस्कृति और दर्शन के महान चिन्तक श्री कामताप्रसादजी जैन ने इस पावन उद्देश्य को सन्मुख रखकर इस मिशन की स्थापना की है। मिशन की कुछ भी कार्य पद्धति क्यों न हो परन्तु " आत्मवत् सर्व भूतेषु" की अमर ज्योति जगाना ही इसका मुख्य कार्य रहेगा। मिशन का दृष्टिकोण व्यापक है, इसमें संकुचित मतमतांतारों, संकीर्ण भावनाओं तथा विचारों का समावेश नहीं है । आज संसार युद्ध के भय से स्वार्थों से, जडता से, अनगिनती पीड़ाओं से, अपार अनैतिकतात्रों से, और सीमाहीन मानवीय आदर्शों के
SR No.543515
Book TitleAhimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size30 MB
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