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'अहिंसक संस्कृति ही विश्व शान्ति की कुञ्जी है ।
माननीय श्री मिश्रीलाल जी गङ्गवाल, मुख्य मन्त्री, मध्य भारत सरकार "के श्री अखिल विश्व जैन मिशन के प्रथमाधिवेशन के उद्घाटन भाषण का सार]
मध्यभारत के मुख्य मंत्री श्री नैतिकता को भूल जाता है। हमारी मिश्री लाल जी गंगवाल हैं। श्री अखिल महान् अहिसक संस्कृति की दुनियाँ विश्व जैन मिशन के प्रथम अधिवेशन में तारीफ होती हैं। श्रीमती रूजका उद्घाटन करते हुए मिशन के वेल्ट ने भारत में सबसे बड़ी चीज़ उद्देश्य और मानव जीवन में फैली पाई वह है हमारी संस्कृति की महाविषमता को दूर करने के महान् अस्त्र नता और अहिंसक सिद्धान्तों की अहिसा पर जोर देते हुए आपने कहा व्यापकता है। कि दुनियाँ में युद्ध एवं अशान्ति की इन शब्दों के साथ मुख्य मंत्री समाप्ति के बाद मानव को नै तेकता जी ने कहा-हमने इन्हीं सिद्धान्तों गिर रही है उसे उठाना परमावश्यक के बल पर आजादो पाई है । रागहै। मिशन इस युग में अशान्ति को दूर द्वेष विहीन संस्कृति-मानव-संस्कृति करने में सफल हों और अपना उद्देश्य जिसे जैन संस्कृति कहते हैं एक ही जनता तक पहुँचने में सफल हो। है । विषमता को समानता में बदलना . आपने विनोवा जी के शब्दों को हो इसका उद्देश्य है। 'मिशन' को दोहराते हुए कहा-मैं बड़ी लड़ाइयों से चाहिए कि वह सस्ते से सस्ता साहित्य नहीं छोटी-छोटी लड़ाइयों से डरता जनता को दे जिस प्रकार कम्युनिस्ट हूँ । जैसे कोरिया युद्ध इसमें मानव देते हैं।
[ ३०वे पृष्ठ का शेष भाग] देवनागरी लिपि है और राष्ट्र---अन्त में आपने अपना भाषण भाषा हिन्दी है। पाश्चात्य जगत के समाप्त करते हुये कहा कि मैं अपना लोग इससे परिचित नहीं है अतएव भाषण समाप्त करने से पूर्व अपने इसका अनुवाद इंग्लिश में होना भाई बहनों से यह कहता हूँ कि वे मुझे चाहिये । इस तरह से अहिसा का ऐसी शक्ति दें कि जिससे कि मैं हिसा का विश्वकोष सारे संसार को एकता का नाश व अहिंसा की प्रवृत्ति उत्पन्न रूप में ला सकेगा।
करता चला जाऊँ। यह मिशन जैन . इन दो महायुद्धों में बड़ों का नाश मिशन नहीं अहिंसा मिशन के रूप में हो चुका है । इसके पश्चात हमारा यह कार्य करे ऐसा अशीर्वाद दें। संसार समाज भी हिंसा में पिसता चला जाये में अहिसा का प्रचार करना ही आज तो मानवता का नाश हो जायेगा। की सबसे बड़ी मानव सेवा है ।