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________________ POOOOOg ॥श्रीवीतरागाय नमः॥ 16कानि । GO सम्पादक-मूलचंद किसनदास कापड़िया चंदावाड़ी-सूरत। 10 विषयानुक्रमणिका। विषय पृष्ठ ... १-२ १-२ दशलक्षण धर्म; सम्पादकीय विचार ३ भगवान महावीर पर सम्मति .... ४ जैन समाचार संग्रह .... lo ५ पयूषण पर्व व स्वार्थमय विचार (पं. दीपचंदनी वर्णी)९ ६ वर्तमानका छ और जैनधर्मकी आवश्यकता ....१३ वीर सं. २४५०७-८ उपालंभ (कविता); कपुर ("जयाजी प्रताप").... १८-१९ भाद्रपद ९-१ जैन समाज पयूषण पर्व (कविताएं). ....२० वि. सं. १९८० ११ नीति रत्नमाला (चालविशन जैन पाळम) ..... - १२ वीसा मेवाड़ा दि. जैन युवक मंडल १३-४ उत्तम त्रण गुण; उत्तम उपदेश १५-१६ अहिंसा, समयोपयोगी शिक्षायें वर्ष १७ अङ्क १ वा सन् १९२४, .... २६-२९ ० पेशगी वार्षिक मूल्य रु० २-०-० पोष्टेज सहित ।
SR No.543201
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size8 MB
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