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________________ ____दिगंबर जैन। लयमें बैठकर सम्पादकीय टिप्पणियां अग्रलेव टाइम्पके भूतपूर्व संपादक डिनका नाम इंगनहीं लिखते और न पत्रों के लिये हेडिंग ही लेण्डके पत्र संसदकों में प्रसिद्ध है। डिलेनके बनाते हैं परन्तु उनका इतना आदर होता है कि समयमें टाइम्पकी अपूर्ण उन्नति थी । स्वदेश तो राज्यके प्रधान सचिव भी उनके साथ बैठकर का विदेशमें उसका आदर बहुत बढ़ गया था अपनेको भाग्यशाली समझते हैं, प्रत्युत कई पातु डिझेचने आने पत्र टाइम्पके लिये वर्षोंतक दशाओं में मचिवगण मादकोंसे भय खाते हैं। २ पंक्ति भी नहीं लेखी । डिलेन का मुख्य कार्य ऐसी कई मासिकपत्र पत्रिकाये हैं जिनमें सम्पा. पत्रका नाति स्थर रखना, अच्छे । सुलेखकों का दककी लेखनीसे निकला हुमा एक शब्द भी सम्पादकीय विभागमें संग्रह करना और संवाददानहीं होता परन्तु सुरूपसे वर्षोंतक चलती ताओं का ठीक स्थिति में रखना था। देशके प्रधान रहती हैं। सचिवतक उसे भय खाते थे। डिलेन उस सम्पादन वही कहलाता है मो पत्र की नीतिका बीर सेनापत्तिकी भांति था जो Fयं एक मी संचालक तथा उसके लिये उत्तरदाता हो । पत्र में गोली नहीं चलाता परन्तु अपनी आज्ञासे हर सम्पादकीय अग्रलेख समाचारों का क्रम शीषेक प्रकारकी सेनाको यथास्थान भेनकर लड़ाता था। तथा प्रेरित पत्रों का चुनाव इनसे मिन्न २ संपा- डिलेन वर्तमान संपादकों का अादर्श रूप है। कका कोई भी आपक कार्य नहीं है। जैसे धान सम्पादकोंके आधीन कार्य करनेपाझे कई शष्ट तिन कचहरी करता है और न पहरे पाक रहते हैं। एक सम्राहक सननैतिक हवादिका प्रबन्ध परन्तु यह देश की संरक्षा व विषयों को सम्मालता है तो दूसरा व्यापारिक उन्नतिके लिये उत्तरदाता है उसी प्रकार संग- वियोंको, तीसरा साहित्यकी समालोचनाको व : "दक भी आने पत्रका उत्तरदाता है। यदि बौथा समाचार सम्बाद --माच र संग्रहको संपादक पत्र के लिये कोई लेख दिखे तो अत्युः अवमा मुख्य कार्य सझा है। इस प्रकार संगातम है पर दि वह अपने पत्रके लिये लेखन न दलका कार्य उस उस विषयके विद्वानों में बँटा दिखे तो कोई हानि नहीं है और न रहता है। यदि मुख्य सम्पादकको सम्पादनका वह संपादकत्व दूर है अर्थत उसका संपाद लेख संबन्धी कार्य भी करना पड़ तो पूर्वोक का पर नहीं होता । यिक समाचारपत्रों बाये हुगे गुगों के साथ ही निम्नलिखित गुर्गों का में के मुख्य संपादक निम्न लखित गुणोंकी विशेष होना मी आवक है। भावपकता है (१) अपने विषयको परिज्ञान । (१) मनुष्यों को निगम रखकर कार्य में लगा- (२) विशुद्ध और मनोरन्नक लेखशैली । नेकी योग्यता (२) थामें अधिक लिखने की योग्यता । (२) संसारका विस्तृत परिज्ञ न । (४) सर्वसाधारणको रुचका परिज्ञान । (३) राजनैतिक स्थिति के पहचानने की शक्ति। देवन्द्रकुमार गाधा विशारद . (१) समाजको परखने के लिये अन्तर्दृष्टी। इन्दौर निवासी।
SR No.543188
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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