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________________ _दिगंबर जैन । दक्षिण महाराष्ट्र जैन सभा-एक तहसीलदारका कहना मानकर दोनों ओरसे लाख का ध्रुव फंड कर रही है जिसमें १०००) चार २ पंच नियत कर एक माहके अंदर मामला मंत्री आमगोंडा पाटीलने, १०००)तात्या के शव निवट लेनेको निश्चित हुआ है । चोरडेने दिये व एक ग्रहस्थने ५०००) देना नसीराबादमें ब्रह्मचर्याश्रम-यहां बाबू स्वीकार किया है। विशेष फंड होना चालू है। लक्ष्मी चंदनी सेठीने निन खर्चसे नसीराबादमें . दक्षिणमें धर्मजाग्रति अच्छी है। वर्तमानमें ब्रह्मचर्याश्रम खोलना निश्चित किया है व आप मराठी हाईस्कूल व कोलेजोंमें ५०० विद्यार्थी भी उदासीन वृत्ति से अपना जीवन यहां व्यतीत पढ़ते हैं व २५०००) वार्षिक खर्च है। करेंगे। यह सब ब्र० चांदमलनी के प्रयास का फल विवाहसहायक समिति-शेरगढ़ है । इसकी देखरेख भी चांदमलनी वर्णी ही (मथुरा)में अग्रवाल विवाह सहायक समिति रखेंगे। मासिक २००) का खर्च सेठजी स्थापित हुई है जो लड़फेवाले को लड़की व ही देंगे। लड़कीवालेका कडके का अच्छा संबंध मिला देगी। त्यागियोंका चातुर्मास। इनकी पास ४ लडकीके लिये वरकी व २ लड. निम्न लिखित त्यागी ब्रह्मचारियोंने नीचे कोंके लिये लड़कीकी मांग आई है। मंत्री लिखे स्थानोंपर चातुर्मास किया है । अन्य रामदयाल जैन चौधरी, शेरगढ़ ( मथुरा ) से त्यागियोंके चातुर्मासके समाचार भी मिलनेपर पत्र व्यवहार होसकता है । __ आगामी अंकमें प्रट रंगे। भोपाल-में सेठ मुरलीधरनीने पौत्र जन्म- - १ मुनि शांतिसागर जी-कोन्नूर (बेलगाम) की खुशीमें तेरहद्वीप पूजन विधान १५ दिन २ ऐलकजी पन्नालाल जी-फिरोजपुर छावनी तक बडे ठठवाठसे कराया था। हि. ज्ये. ३ ब० सीतल प्रसादसी-पानीपत (पंजाब) सु. चतुर्दशीको कलशाभिषेक होकर विसर्जन ठिकाना-अरहदास जैन रईस । हुआ था तब ५५) भोपाल जैन मंदिर को दिये ४ भ० सुरेंद्रकीर्तिनी-झहेर (महीकांठा) व १२००)विजातियोंकों जाति भोजन दिया ५ ब गेबी लाल नी-बड़वानी इन्दौर) था । आप बड़े परोपकारी हैं। ६ त्यागी जानकीदालनी-एटा भावगढ-(मंदसोर) के अपने मंदिर संबंधी ----७ व. जोतिप्रसाद नी-पाढम (मैनपुरी) जो केस श्वेतांवरियों ने अपने पर चलाया था वह ८ क्षुल्लक शांतिसागरजी - सागवाड! (मेवाड) ता. १८ जुलाईको चला था। तीर्थक्षेत्र कमे- ९ ब. चन्द्रसागर जी (कर्णाटकी)-कुंथलगिरी टीसे मैनेजर गया था। व उज्जैन पंचायतसे मालवा सभ!-के परीक्षालयकी परीक्षा गुलाबचंद बन वकील व परतापगढसे झुमकलाल इस वर्ष भादोंमें न होकर विद्यार्थिों के सुभीते जैन वकील हानिर थे । यद्यपि नीचे से ऊपरता के लिये आगामी दिसम्बर अथवा जनवरीमें मंदिर दिगंबरी होने की पूर्ण सबूत है तो भी परीक्षा होगी।
SR No.543187
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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