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________________ छक्लक __ दिगंबर जैन। सोकजनक मृत्यु-सुरतमें प्र. ज्येष्ठ वदी प्रां० दि० जैन समाके नांदगांवके अधिवेशनमें की सुबहको चंदाबाडी में सेठ ताराचन्द नव- अनधर्ममूषण ब्र० शीतलप्रसादनीको जैनमित्रके बचन्द जौहरीकी १२ वर्षकी होनहार पुत्री सम्पादकल्बसे अलग किया गया है. उसका यह निर्मलाका मयं कर घरसे देहांत हो गया । इस समा घोर विरोध करती है। जैन मित्र बम्बई पुत्रीके स्मरणार्थ सेठ ताराचन्दनीने २०००) प्र. दि. जैन समाका मुखपत्र होते हुए भी निकाले हैं। सार्वदेशिक जैन पत्र है इस लिये प्रांतिक समाको ... करजन (बडौदा) में महासमाके उपदेशक सारे जैन समानके माइयों का ख्याल करना सोमपालजीके ४ दिन तक पधारनेसे कई बा चाहिये । नियम लिये गये व मंदिर बनाने के लिये करीब सुजानगढका बृहत् विद्यादान१२००) का चंदा हो गया है। सुनानगढ की. प्रतिष्ठाके समय मा मासमें .. सोलापुर-में गत ता. २-६-१३ को ९२१२%)॥ का बृहत विद्यादान हुआ था जो १६ अगुओं की सहीसे मीटिंग कई थी जिसमें इस प्रकार संस्थाओंको भेजा गया है- . करीव १५० की संख्या उपस्थित थी। सभा- १०००) बडनगर औषधालय, ५००) पति राजभी नेमचंद शाह वकील हुए थे। इस बडनगर अनाथालय, ११००) कुंपल गिरि प्रकार प्रस्ताव पास हुआ है कि व. शीतल- आश्रम, ६००) मोरेना विद्यालय, ४००) देहली प्रसादनी 'जैनमित्र ' का सम्पादन अत्यन्त अनाथाश्रम, ७५.) स्या० विद्यालय काशी, यशास्त्री व योग्य रीतिसे कर रहे हैं इस लिये ५००) व्यावर महाविद्यालय, ११००) केकमहावारीमी-ही जनमित्रके सम्पादक कायम रहने डीकी संस्थाएं, ७५०). आश्रम जयपुर, चाहिये। २५०) उदेपुर विद्यालय, २००) मैन बालावि. भागौर-की कन्या पाठशालाको सेठ-मोहन श्राम आरा, ४००) सुजानगढ़ गौशाला, २६०) लालनी मच्छीने २॥ बर्ष तक ५०) मासिक कबूतरोंको मोठ, १२००, बीकानेस्में नवीन सहायता देमा स्वीकार किया है। मंदिर बनवानेको, २००) जयपुर पाठशाला व - आवश्यकता-तिलोकचंद जैन हाईस्कूल में १२॥ पोस्टेन खर्च ।। म अजैन छात्रों की आवश्यकता है। यहां गैस विवाहम दान व जीर्णोद्धारका धर्मकी शिक्षा, स्कूफीस माफ, छात्रःश्रममें- चंदा-सेठ नानूलालजी नामपुरके पुत्रकी शादी निवास स्थान, पेडरूपसे मोमनका प्रक्च आदि बेतुल में फा० सु० ३ को हुई थी तब १५१) सुभीते हैं। जो विद्यार्थी यहां आना चाहें उपकरणादिमें व २७१) संस्थाओंको दान किया ता. २० जुन तक अपनी अर्नी भेनें । गया तथा वहांके ५०० वर्षके पुराने में देरके __ जयपुर में ता. २ को वीर सेवक मंडः जीर्णोद्धारके लिये ४२१७)का चंदा मी होगया। की ओरसे सभा होकर प्रस्ताव हुभा कि बंगई तथा काम चाल करनेकी व्यवस्था भी की गई।
SR No.543185
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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