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________________ दिगंबर जैन । NCP40 (८) लिखते हैं कि २-३माह अंतिम पर्यटन करना चाहता हूं इसलिये जो माई मुझे बुलाना चाहे मुझसे पत्रव्यवहार करें । दोहद- में पंचायती ठहराव हुआ है कि जैन भित्र सम्पादक ब्रह्मचारीजी शीतल सादमी ही रहने चाहिये। वियोग - सेठ नाथारंगजीके पुत्र गंगाराममाईका मी बे०सु० १४ को वियोग हो गया । आवश्यकता - दानवीर सर सेठ हुकम चंदभीके विद्यालय व बोर्डिंगमें प्रवेशिका के २० ) विशारद के १५ व अंग्रेजी पढनेवाले १० इस तरह ६५ विद्यार्थियोंकी आवश्यकता है। जिनको आना हो द्वि० जेठ वदी १ तक अर्जी भे । हजारीलाल मंत्री, नंबरीबाग - इन्दौर । केशलोंच - कन्नड में श्री त्यागी ऐलक पत्तालानी परे हैं व प्र० ष्ठ सुदी ८ से ११ तक रथयात्रा व सुद १० को केशन होगा । नागपुर-में सि० नन्हेंशालनं ने अभी ३ ० ० ० ० का दान इसप्रकार किया है - १५०००) औषधालय ५०० ० ) गरीब व रोगीको खाने पीने वस्त्र आदिके लिये व १००००) नागपुर व रामटेक मंदिर में पूननार्थ | शाहपुरा - (मेड) में फाल्गुन मास में जैन मेला व रथयात्रा हुई थी तब शाहपुराधीशको मानपत्र दिया गया था जिसके उत्तर में महाराजाने अपनी नशियाको अमुक जमीन मेंट की हैं व मेाडखेराड प्रां० समाका प्रथम अधिवेशन पं० घन्नालालजी केकडी के सभापतित्वमें हुआ था जिसमें मंत्री आदिकी नियुक्ति हुई थी । सुरतमां ७८००) नुं विशेष दानभत्रे चंदावाडीनी पासेना मंदिरमां मीचे सुमन विशेष दान पयुं छे. १६००) शा० डाह्याभाई रखवदासना स्म नायें चांदीना दरवाजा १९००) शा० आनलाल डाह्यामाईना स्म णार्थे चांदीना दरवाजा ७५०) शा० डायामाई रीखचदास तरफपी लीलावती भने जडावजाईना स्मरणार्थे माताजीनो गोखलो (आरसनो) तथा तेना चांदीना बारणां ७९०) मणीन मुलचंद गुलाबचंद वाि यानी तरफथी क्षेत्रपालनो गोखलो. तथा तेना चांदीना बारणां ९००) नवलबाई माणेकचंद लामचंद तरफथी फूलचंदना स्मरणायें पर्श्वनाथ मंडप भरसनी लादी ५००) श्रीमती परशनबाई नवलचंद हीराचंद्र झवेरी तरफथी दर्शनना मोटा बारणां जर्मनीतरना १०००) शेठ नवल चंद हीराचंदना पुत्र रतन चंदनी स्वपत्नी लीलावतीना स्मरणाये चंद्रप्रभु चैत्यालयमा अरतनी लादी ५००) शेठ ताराचंद नवलचंदनी स्वर्ग० पुत्री निर्माना स्मरणार्थे प्रवेश द्वारमां आनी बादी १००) चुनीलाल हेमचंद जरीवालानी तरफथी दर्शननो नानो दरवाजो जर्मनसी लवस्नो (३००) कस्तुरचंद व्हेवरदास तरफथी दर्शननो दरवाजो जर्मनसीरनो कुले रु० ७८००)
SR No.543185
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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