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अंक ४]
डॉ. हर्मन जेकोबीनी जैन सूत्रोगरनी प्रस्तावना
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सुधी जणावे छे के वैशेषिक दर्शन स्थापनार तेमना मत- जेनुं संस्कृतरुप षडुलूक थाय छे. तेमा घुवड अने घj नो ज एक कौशिक गोत्रीय छलुय रोहगुत्त नामनो करीने काणादोनु सूचन थाय छे ए खरुं छे, परन्तु निन्हव हतो जेणे वि. सं. ५४४ (इ. स. १८) मां उलूक शब्द जैनोए रोहगुत्तना गोत्रने अर्थात् कौशिकने' त्रैराशिक मत नामनो छठ्ठो नैन्हविक संप्रदाय स्थाप्यो उद्देशीने लखेलो होय तेम जणाय छे. कौशिक शब्दनो हतो. आ दर्शननुं जे वर्णन अवश्यक सूत्र VV. 77-83 अर्थ पण घुबड ज थाय छे. परन्तु आ बाबतमां जैनोनी मां आपेलुं छे ते वांचवाथी जणाय छे के ते सघळं वर्णन दंतकथा करतां सर्वब्राम्हणसंमत परंपरा वधारे पसंद कणादना वैशेषिक दर्शसमांथी लीधेलं छे. कारण के तेमां करवा लायक होवाथी, आपण जैनोना परंपरागत कथ( सात नाही पण ) छ पदार्थो अने तेना पेटा भेदोनुं नने एवी रीते समजावी शकीए के रोहगुत्ते आ वैशेषिक वर्णन आपेलुं छे, अने आ उपरान्त गुणना वर्गमां (२४ दर्शनने नवं प्ररूप्यु न होतुं परंतु पोताना नैन्हविक विचानहीं परन्तु ) १७ वस्तुओन वर्णन करवामां आवेलुं छे रोने समर्थित करवा वैशेषिक मतनो मात्र अंगीकार जे वैशेषिक दर्शन १, १, मां आपेली हकिकत साथे कया हतो. बराबर मळी रहे छे.
आ भागमां भाषांतरित करेलां उत्तराध्ययन अने सूत्र
कृतांग सूत्रना विषयमा प्रो. वेबरे Indische Studien. मारुं मानवु छ के, जैनो अनेक बीजी बाबतोनी मा
Vol. XVI. p 25yff अने Vol. XVII, p_43ff फक, हिंदुस्तानना प्रत्येक प्रसिद्ध पुरुषने पोताना धर्मना ।
मा जे लख्युं छे ते उपरान्त मारे कांई विशेष उमरेवानुं इतिहास साथ जोडी देवानी बाबतमां पोताने घटे तेना करतां अधिक माननो हक्क करे छे. उपरोक्त जैन दंत.
नथी. आ बन्नेमां, सूत्रकृतांग ए बीजं अंग गणाय छे
अने जैन आगमोमां अंगोने प्रथम-प्रधान-स्थान कथाने असत्य मानवामां मारां कारणो नीचे मुजब छे:
आपवामां आवे छे,तेथी ते उत्तरायध्यन सूत्र, के जे प्रथम वैशेषिक दर्शन वास्तवमां एक आस्तिक ब्राह्मण दर्शन मनाय छे अने ते मुख्यत्वे करीने स्वधर्मचस्त हिन्दओ मूळ सूत्र गणातुं होई सिद्धान्तमां तेने छल्लं स्थान मळेलं द्वारा विकसित थयुं छे. आम होवाथी तेमणे सूत्रकार
छे, तेना करतां वधारे प्राचीन छे. चोथा अंगमां आपेला नु जे नाम तथा काश्यप एवं जे गोत्र बताव्यु छ
सिद्धान्तोना सार उपरथी जणाय छे के सूत्रकृतांगनो ते संबंधमां तेओ असत्यालाप करे छे, एवी शंका कर
मुख्य उद्देश नवीन साधुओने विरोधी आचार्योना वानुं जराए कारण जणातुं नथी. अने बीजु ए के समग्र
पाखंडी मतोथी संरक्षित राखवानो अने ते रीते सम्या ब्राह्मण साहित्यमां एवो क्यांए उल्लेख मळी आवतो नथी
दर्शनमा स्थिर बनावी तेमने परमश्रेय प्राप्त कराववानो के वैशेषिक दर्शनना कर्तार्नु खरूं नाम रोहगुत्त हतुं तथा
छे. आ हकिकत एकंदर साची छे, परन्तु सर्वांगपूर्ण नथी; तेनुं गोत्र कौशिक हतुं. तेम ज रोहगुत्त अने कणाद
र ए आपणे आ पुस्तकनी शुरुआतमां आपेली विषय सूचि ए बन्ने नामो एक ज व्यक्तिानां होय तेम पण मानी
उपरथी जोई शकीए छीए. ग्रन्थनी शुरुआतमा विरोधी शकाय नहीं, कारण के तेओना गोत्र स्पष्ट भिन्न भिन्न
मतोनुं निराकरण आपवामां आवेलुं छे अने तेनो ते ज जोवामां आवे छे. कणादनो अनुयायी ते काणाद' ।
विषय फरीथी अधिक विस्तार साथे बीजा श्रुतस्कंधना
प्रथम अध्ययनमा चर्चवामां आवेलो छे. प्रथम श्रुतस्कंए शब्द, व्युत्पत्तिशास्त्रना अनुसारे काक-पक्षक एटले घुवड वाचक छे, अने एथी ते दर्शन, उपहासात्मक नाम २ अक्षरशः-छ घुवड. आ शब्दनो पहेलो 'छ' शब्द वैशे.
षिक दर्शवना छ पदार्थोनो सूचक छे. औलूक्य दर्शने पडेलु छे. रोहगुत्तनु बीजु नाम छुलुय छे, '
३ भाग १, पृ० २९०, परन्तु प्रो. ल्युमने | c. p. 121,
उपर भाषान्तर करेली एक दंतकथामां तेनुं गोत्र 'छऊलू ' तरीके १ जुओ, कल्पवनी मारी आवृत्तिनु पृष्ठ. ११९
लस्युं .