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________________ अंक ४] एक श्रीमाली जैनकुटुंबनी जुनी वंशावली ११ एक श्रीमाली जैन कुटुंबनी जुनी वंशावली श्वेतांबर जैन संप्रदायने अनुसरनारी मुख्य त्रण वैश्य नथी परंतु ओसवाल जातिनी तो छेक विक्रमना १७ जातो छः १) ओसवाल, २) श्रीमाली, अने ३) मा सैका सुधी वृद्धि चालू रही होय एम जणाई आचे छे. पोरवाड, ओसवाल जातिनुं मूल उत्पत्ति स्थान ओसिया लोकमान्यता प्रमाणे, उपर जमाव्युं तेम, मूल तो ए नगरी मनाय छे जे मारवाडनी जोधपुर राजधानीनी पासे त्रणे प्रसिद्ध अने समृद्ध जैन जातो मारवाडनी सीमामा आवेली छे. ए जातिनी वधारे वसती राजपूताना अने ज उत्पन्न थएली, परंतु पाछळथी जनसंख्यानी वृद्धिने मालवामा रहेली छे. श्रीमाली जातिनु मूल स्थान श्री. लईने, व्यापारना निमित्तने लईने, तेम ज राज्योनी उथल माल नगर कहेवाय छे. एने हालमा भिन्नमाल कहे छे पाथलना कारणने लईने भारतना जुदा जुदा प्रदेशोमां ए अने ए पण मारवाडना जोधपुर राज्यमां, राज्यनी प्रसरती गई. उत्तरनी सीमा तरफ आवेलुं छे. ए जातिनी वधारे ए जातोमां अनेक गोत्रो छे अने दशा-वीसा आदि वसती गुजरात अने काठियावाडमां आवेली छे. पोर- जेवा केटलाक पेटा-भेदो छे. गुजरात अने काठियावाडवाड जातिनुं जन्म स्थान क्यां छे ते चोक्कस जणातुं नथी मां वसनारा लोकोने फक्त दशा-वीसाना भेदनी तो मापण किम्बदन्ती प्रमाणे अरवलीनी पर्वतमालामां वसेलो हिती रहली छे परंतु गोत्रनुं ज्ञान तो लगभग सर्वथा वागडदेश तेनु उत्पत्ति स्थान होय एम जणाय छे. मलाई जवायुं छे. मारवाडमां वसता लोकोने-अने तेमा पोरवाडोनी माटी संख्या मारवाड राज्यना गोडवाड-के खास करीने ओसवालोने-पोताना गोत्रोनी माहिती जेने नानी मारवाड पण कहेवामां आवे छे-प्रांतमां अवश्य होय छे. ए माहिती होवानुं खास कारण ए छे पसरेली छे. गुजरात अने मालवामां पण ए जातिनी के त्यांना लोकोना कुलगुरु हजी हयात छे जेओ दरेक साधारण वसती छे. ए जातोनुं जन्म क्यारे अने कई कुटुंबना विवाह आदि शुभ प्रसंगो उपर हाजर थई ते रीते थयुं तेनो सविस्तर निर्णय करवा जेटलां साधनो हजी ते कुटुंबनी वंशावलि विगेरे वारंवार संभलावता रहे छे. ए ज्ञात थयां नथी. साधारण मान्यता प्रमाणे जैनाचार्यो वंशावलिओमा १०-१०,२०-२० पेढी सुधीना पूर्वए, ते ने प्रदेशमा वसता रजपूतो अने बीजा तेवा जोना नामोनी तेमज केटलाकना ठाम अने मोटा · कालोकोने धर्मबोध आपी जैन बनाव्या अने तेमने, पूर्वना मोनी पण नोंधो करेली होय छे. जो के ए नोंधोमा बीजा बीजा व्यवसायो छोडी दई व्यापारनो व्यवसाय कपोलकल्पित जेवू पण घणु होय छे तो पण जेटली नोंध करवा तरफ प्रेरणा करी. ए जातोनुं निर्माण कोई एक ज -नोधनी वही-वधारे जुनी होय तेटली ते वधारे विआचार्य द्वारा अने एक ज वखते थयुं छे एम नथी. परंतु श्वसनीय होई शके छे. गुजरातमा तेवा कुलगुरुओनो सप्रथम एक आचार्ये केटलाक कुटुंबोने जैन बनावी तेमनी र्वथा अभाव थई गयो छे तेथी त्यांना वतनिओ पोताना एक जात बनावी अने पछीथी बीजा बीजा आचार्योए गोत्रो पण भूली गया छे. प्रसंगे प्रसंगे बीजा बीजा स्थळोना लोकोने जैन बनावी जन बनावा * अने हवे तो केटलाक पोतानी जातोने पण भली जवानी कोबनावी ते ते जातिमा दाखल करता गया, अने तेम शीस करता नजरे पडे छे ! थोडा दिवस उपर अमदाबादना एक करी एत्रणे जातिनी संख्यामा कमे क्रमे वधारो करता श्रीमंत जैन गृहस्थना बालकोने तेमनी जाति पूछतां तेओ तेनो गया. श्रीमाली अने पोरवाड जातिनी आवी रीते क्या जबाव आपवा असमर्थ निवडचा हता. (त्यारे बीजी बाजुए ते ओ इंग्लडना इतिहासनी वातो अने' आयरीश, इंग्लीश, स्काच सुधी वृद्धि थती रही तेनी तो माहिती हजी सुधी मळी विगरे जातोना परिचयो झटापट आपी देता हता.) जे बालको
SR No.542001
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Samiti 1921
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Karyalay
Publication Year1921
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Sahitya Sanshodhak Samiti, & India
File Size17 MB
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