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अंक
महावरि निर्वाणने समय-विचार निवाण तिथिो . .
हवे चंद्रगुप्तना राज्यारोहण पहेलानुं २१८ मुं वर्ष ते -चंद्रगुप्त राजाना राज्यारोहण विधे जैनो तरफथी नीचे ( ३२६+२१८) ई. स. पूर्वेनुं ५४४ मुं वर्ष थाय, 'प्रमाणेनी हकीकत मळे छे.--जे वर्षमां नवमो नंद एटले के बुद्ध निर्वाणनुं वर्ष पण उपर जणाव्या प्रमाणे, (शकटालनो स्वामी ) मृत्यु पाम्यो अने चंद्रगुप्त गादी- ई. स. पूर्वेनू ५४४ मुंज थयु. अने सीलोन, बर्मा अने ए बठो ते ज वर्षमा स्थूलभद्राचार्ये काल को हतो.' आ सीआमनी दंतकथाओ प्रमाणे पण बुद्धनिर्वाण- ए ज बनाव महावीरना निर्वाण पछी २१९ वर्षे बन्यो हतो. वर्ष आवे छे, जे जाणी आपणने सानुक्ळ आश्चर्य थशे. हवे जो एम मानिए के महावीर चंद्रगुप्तना तख्तनशीन जैन कालगणना( Jaina Chronology ) थया पहेला २१९ वर्षे निर्वाण पाम्या, तो पछी महावी
डॉ. होर्नल सरस्वती गच्छनी पट्टावलानी १८ मी ग्ना निर्वाण पछी ५३ के ६० वर्ष पछी बुद्ध निर्वाण
गाथाना आधारे विक्रम संवत्नी शरुआत माटे ४७० पाम्या, एम मानवं योग्य गणाब नहिं कारण के तेओ
पछी बीजां १६ वर्ष वधारे ले छे. गायानो अर्थ अथवा बंने समकालीन हता अने तेथी तेमनु मृत्यु.पण थोडा ज
तो भावार्थ एवो छे के-विक्रम सोळ वर्धनी उमर सुधी अंतरे थयुं होय एम मान, सकारण छे.
निर्ग्रन्थ ज्ञातपुत्र ( महावीर ) ज्यारे पावामां निर्वाण खमा अने चंद्रगुप्तनी राज्यारोहणनी तारीखमां परस्पर काई वि. पाम्या त्यारे बुद्ध जीवता हता एवा भावार्थ वाळो उल्लेख रोध नथी. नन्दना सैन्य सामेथी अॅलेकझेंड रनो पाछा फरवानो जे अंगुत्तर निकायमाथी मळी आवे छे ते पूर्ण मानवा
अने पंजाबमां मेसेडोनियन लष्करनी हयातीनो पण चंद्रगुप्ते लाभ
लीधो. पंजाबना लोकोए चंद्रगुप्तने मगधनु राज्य मेळववामां योग्य छे. अने जे पुरावाओना विषयमा अत्रे ऊहापोह मदत करी हती. अने ते एवा इरादाथी करी हशे के मगधनुं महान् कर्यो छे, तेमांथी पण एज निकळा आवे छे, के महावीर सेन्य पर्छ तेमना स्वतंत्र थवाना आशाने पुरी करे; एटके चं चंद्रगुप्तना राज्यारोहण पूर्वे २१९ वर्षे निर्वाण पाम्या
द्रगुप्त पोतानो विजय थया पछी ते सेन्यनो उपयोग तेमना माटे
गुप्त पाता
करे. अॅलेकझेन्डर कामिनियामां हते। एटलामां ज पंजाबना सुअने बुद्ध २१८ वर्षे. आ प्रमाणे चंद्रगुप्त ३२० A M.
बा फिलिप्पोसवें हिंदिओना हाथे खून थयु, अने आ काम चंद्रJ. (महावीर जिन पछी) ( चालु ) अने २१९ A.B. गुप्तनी उस्फेरणीथी थयु होय तेम लाग छे. सरखावो,मुद्राराक्षसनी ( = बुद्धदेव पछी ) ( चालु ) गादिये बेठो; अने बुद्ध,
अंदर पर्वतकना मृत्युनी हकीकत. पर्वतक सरवओ-पिरवओ=
फिलिपोस । (मुद्राराक्षस विषयक म्हारो निबंध, I. A. महावीरना पछी एक वर्षे निर्वाण पाम्या. जैनोनी का- '
आक्टोबर, १९१३.) लगणन प्रमाणे चंद्रगुप्त ई. स. पूर्व ३२६ या ३२५ ना
J. R A. S. ( जर्नल ऑफ धी रॉयल मेशियाटक नव्हेंबर मासमां गादिए बेठो."
से सायटि) 1503, 2. . . .
- बुद्धदेवना निर्वाणनी तारीख उपर तक्षशीलानो इतिहास एक जैन ग्रंथा प्रमाण आ कथन बिल्कुल बंधबेसतुं नथी. रीते अमुक प्रकारनों प्रकाश पाडे छे. ज्यारे बुद्ध उपदेश आपता
सपादक ज. सा. स. हता त्यारे तक्षशिला ए एक स्वतंत्र संस्थाननी राजधान हती, १ तपगच्छ नी पटावली I. A. ११-२५१ ( इन्डियन एन्टी
( BI, P.20. ) अने हिन्दी विद्यार्नु एक महान् केन्द्र हवं. क्वेरी, पुस्तक ११. पृष्ठ २५
अशोकना अभिषेकनुं वर्ष बु. नि० पछी- २१८ मुं गणी तेना २. खरतगच्छनी पटावली. I. A.-११.२४६.
उपरथी गणना करतां बुद्धनो उपदेश समय (४४ वर्ष ) ई. स३ बोलडेनबुर्ग, Z D M G ३४,७४९,
पूर्व ५२८ थी ४.३ सुधीमां मावी जाय छे. परन्तु तक्षशिला लग१ बर पर चोकस बोलिए तो बुद्ध महावीर पछी एक वर्ष अने भग ई. स. पूर्व ५०५ वर्ष ना अरसामा हिन्दु राजधानी तरीके रही भाठ विषसे निर्वाण पाम्या कारण के महावीर कार्तिक वदी १५ न हती. कारण के तेज वर्षे अथवा तो तेनी आसपासमां ज ते हे. ने दिवसे निर्वाण पाम्या (कल्पसूत्र, प्रकरण १२३) अने बुद्ध रीअसावाथमां चाली गई इती. बुद्धना छेल्ला वीस वर्षना अरकार्तिक शुदी ने दियसे (फलीट, J RAS. 1909,42) सामां तक्षशिला जो पशिअनोना ताये रही होत तो भाग्ये ज कोई
५ बेलेकझेन्टर ज्यारे पंजाचमांथी पाछो फयों (ई.स. पूर्व ३- तेने एक स्वतंत्र राजधानी तरीके अधा हो एक महत्त्ववें स्थान २६ मॉक्टोबर ) त्यारे नन्दराजा राज्य करतो हतो. आ तारी. तरीके गणी.शकत..