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________________ ( ४५ ) arer अधिक अगत्य का है। क्या सीखना ? क्या न सीखना ? इसका निर्णय सीखने वाले पर ही है न कि सिखाने वाले पर । बालकों को सिखाओ उसकी बनिस्बत बालकों के अनुसार कार्य करो यह आज के शिक्षा शास्त्र की झांखी शुरूआत उक्त विचारों में हैं । बालकों को स्वतंत्र शिक्षा देने के विषय में उसके विचार अधिक स्पष्ट और वजनदार है। वह कहता है कि 'जिस तरह तुम बड़े मनुष्य स्वतंत्र हो उसी तरह बालक भी स्वतंत्र हैं । वे जो कुछ अच्छा कार्य करते हैं वह सब उनमें से ही आता है वे स्वाधीन और सम्पूर्ण हैं यदि कोई काम अच्छा हो परन्तु यदि उस में उनका मन या रुख न हो तो उनके पास से वह कार्य मत कराओ । बड़े मनुष्य को भी पढ़ना और संगीत अच्छा मालूम होता है परन्तु जिस समय वह उसको करना नही चाहता है उस समय यदि उससे कराया जाय तो वह थक जायगा और उसका प्रयास निरर्थक चला जायगा । यही बात छोटे बालकों के विषय में भी हैं । बालकों में काम के लिये समय और ऋतु आता है उस वक्त वे सरलता से काम कर सकते हैं यदि यह समय बराबर पहिचाना जाय तो शिक्षा देने की कंकट मिट सकती है और बहुत समय तक परेशानी भरी मेहनत भी घट सकती है । यदि बालक अपनी मर्जी से सीखता न हो उस वक्त उसके वक्त का जितना व्यय हो और जितनी मेहनत पड़े उससे आधा वक्त और आधे श्रम से जब वह लहर में आ जाय तब वह तीन गुना सीख सकता है। यदि योग्य परिस्थिति की योजना की जाय तो खेल में जितना आनन्द भाता है उतना ही आनन्द उनको पढ़ने में भी आता है । अर्थात् पढ़ना खेल रूप और खेल पढ़ना रूप मालूम हो । स्वतंत्रता देने से बालक की असली कुटेव और कभी २ उसका मानसिक प्रवाह जाना जा सकता है । उसके ऊपर किसी की देख रेख है यह बात जब उसको मालूम नहीं होती उस वक्त वह पूर्ण खिल उठता है उस वक्त शिक्षक को चाहिये कि वह उससे पहिचान जाय । वह उस वक्त उसकी इच्छा माफिक घड़ सकता है इसमें के आखिरी शब्द जो कि आजकल की स्वतंत्रता की फोलोकी पर पानी फिराते दिखते हैं तो भी स्वतंत्रता के सिद्धान्त के मूल जॉन लॉक में है इसमें जरा भी संशय नहीं है । तन्दुरुस्त शरीर में तन्दुरुस्त आत्मा ही निवास करती हैं इसी सूत्रानुसार बह पहिले शरीर की शिक्षा फिर मन की शिक्षा का क्रम रखता है। लॉक शरीर को
SR No.541510
Book TitleMahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size14 MB
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