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बालोद्धार के लिये डाक्टर मोन्टीसोरी के काम की अभी बहुत वर्षों तक जरूरत है।
डॉ० मोन्टीसोरी के पूर्वाचार्य ____डॉ. मोन्टीसोरी के पूर्वाचार्य जॉनलॉक, कॉन्डीलक, पेरेरा, रूसी, इटार्ड और सेगुइन गिने जाते हैं। जॉन लॉक में मोन्टीसोरी के महानद के क्षीण प्रवाह का मात्र झरण है। कॉन्डीलॅक और पेरेराने इस झरण को कुछ विपुल कर नाला की प्रतिष्ठा दी। रूसो ने इसको नदी के रूप में ही परिणित कर दिया और इसकी दो सहायक नदीएं हो गई। एक में पॅस्टोलॉजी और फॉबल और दूसरी में इटार्ड और सेगुइन के प्रबल प्रवाह मिले। इन प्रवाहों का वेग जोर से बहा उनमें से प्राज मोन्टीसोरी महानद अस्खलित, अविचल, अद्भुत प्रवाह में शिक्षा की भूमिका पर बह रहा है हम लोग इस प्रकरण में इस महानद में जड़ मुख तक नहाने को निकले हैं। चरित्र कथन और उसका श्रवण पुण्य स्नान के बराबर है। जॉन लॉक से लगा के सेगुइन तक चरित्रों का लेखन एक सलंग मात्र प्रदेश है। इस में हम तीर्थ के भाव में विचरते हैं अर्थात् हमको मोन्टीसोरी महानद के दर्शन हों।
नोट-मोन्टीसोरी के 'सिद्धान्त विचार' इसी अङ्क में प्रागे देखें।
जॉन लॉक जॉन लॉक का जन्म ई० सन् १६३२ में हुआ था और उसको मृत्यु सन् १७०४ में हुई थी। उसका जन्म पहिले चाल्र्स के समय में हुआ था। इङ्गालेन्ड के समरसेट में उसकी जन्मभूमि है। उसके कुटुम्ब का धर्म पुरीटन था। उसने ऑक्सफोर्ड विद्यापीठ की एम. ए. की परीक्षा पास की थी। परीक्षा पास करने के थोड़े समय बाद कुछ समय के लिये उसने ग्रीक वकृत्व कला
और तत्वज्ञान के प्रोफेसर का काम किया था। इसके बाद उसने ३४ वर्ष की उम्र में वैद्यक विद्या का अभ्यास शुरू किया था परन्तु यह अभ्यास अधूरा रह गया और वह लॉर्ड एस्ली का खानगी मंत्री हो गया। यहां पर उसने कई वर्षों तक काम किया उसने अनुभव और वाचन के परिणाम से सन् १६६६ में