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( २८ ) पातिव्रत्य, स्वार्थ-त्याग, स्वावलम्बन्न, धैर्य आदि जो गुण दिखते थे वे सब उसकी अवनति के वक्त नष्ट हो गये थे। दुर्गुण दाखिल हो गये थे । इससे जर्मनों के आगे उनको दब जाना पड़ा था ।
दो बातों का परस्पर घनिष्ट सम्बन्ध है (१) स्त्रियों की शिक्षा, मानसिक, धार्मिक तथा शारीरिक उन्नति और ( २) किसी जाति या प्रजाका महत्त्व या गौरव । जब भारतवर्ष में योग्य मातायें थी तब वे रत्न-गर्भा होकर योद्धाओं
और ऋषियों को पैदा करती थी परन्तु अब मूर्ख और बाल माताओं से प्रायः कायर और कलङ्कित कुपुत्र उत्पन्न होते हैं। कारण और कार्य ! कारण को सुधार कर कार्य को सिद्ध करना अभी हमारे हाथ है ।
मनुष्य, गाय, बैल, घोड़ा, कुत्तों के जोड़ों का मेल कराने के पहिले इनके कद, नस्ल, बल आदि अनेक गुणों पर अनेक सावधानी से विचार करता है
और जाँच करके जोड़ा स्थिर करता है परन्तु अपने अथवा अपनी सन्तति के विवाह के वक्त वह ये सब उत्तम विचार भूल जाता है ।
यह अज्ञानता का ही परिणाम है कि आज कल का गृहस्थाश्रम दिन ब दिन अधिक फीका होता जाता है । ध्यान रहे कि स्त्रिये केवल भोग-विलास के लिये नहीं बनाई गयी हैं, जो पुरुष स्त्रियों के शरीर तथा उनके सुख दुःख पर ध्यान नहीं देते हैं अपने ही सुख विलास के लिये खुद गर्जी से काम लेते हैं वे विवाह के अधिकार से बाहर जाते हैं और विवाह-शय्या को अपवित्र करते हैं ऐसे कामी पुरुषों के विवाह को अंग्रेजी में Married or legal Prostitution (व्यभिचार) कहते हैं। इसका परिणाम बताते हुए एक विद्वान् लिखता है कि___जो प्रना विवाह-शय्या को केवल मोग-विलास के लिये ही ठीक समझती है उसका विनाश अवश्यं भावी है ।
जो विचार स्त्रियों को बच्चा पैदा करने की मशीन समझ कर विशेष संघ में लगे रहते हैं वे निःसन्देह मान भूल गये हैं वे स्वयं अपनी स्त्री के साथ खराब होते हैं परन्तु उनकी विषयान्य दशा से पैदा होने वाले बच्चे भी मौत लायक होते हैं। पराधीन भऔर गुलाम, दरिद्र और रोगी, अशक्त और कायर ऐसे इस देश में मुर्गे और कुत्तों की तरह सन्तति बढ़ाये जाना, इसमें मात्म द्रोह, पत्नी द्रोह, सन्तति-द्रोह, समाज-द्रोह और देशद्रोह भी रहा हुआ है और यह बात खास