________________ (2) लिया। सम्मेलन के योग्य कार्यकर्ताओं के उत्साह से और बहुत से उत्साही मित्रों के सहयोग से इस कार्य को पूर्ण करने का काम हाथ में लेते हैं। हम अच्छी तरह से जानते हैं कि इस कार्य को पार लगाने में हिमालय के समान बड़ी-बड़ी कठिनाइएं हमारे मार्ग में आयेंगी। पर हम जन्म से ही आशावादी हैं। हमारा यह अटल विश्वास है कि प्रबल इच्छा शक्ति के सामने बड़ी से बड़ी कठिनाइयां दूर होकर कार्य सफल हो जाता है / उपरोक्न तीनों ग्रन्थ बहुत खोज और अन्वेषण के साथ तैयार किये जायेंगे। प्राचीन शिलालेख, ताम्रपत्र, पुराने रेकार्ड्स, संस्कृत, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी हिन्दी तथा गुजराती भाषाओं में उपलब्ध सैंकड़ों नये पुराने ग्रन्थों से इसमें सहायता ली जा रही है। अनेक राज्यों के दफ्तरों से भी इसके लिये सामग्री इकट्ठी की जाने का प्रबन्ध हो रहा है। जहां 2 पौरवालों की बस्ती है उन छोटे बड़े सब नगर, शहर और ग्रामों में घूम कर इसको सम्पूर्ण बनाने का प्रयत्न किया जा रहा है। प्राचीन और नवीन अनेक पौरवाल महापुरुषों के इसमें हजारों फोटो संग्रह किये जा रहे हैं। तथा बड़े 2 घरानों का विस्तृत इतिहास सङ्कलन करने का भी इसमें पूरा प्रयत्न किया जा रहा है। उपरोक्त तीनों भागों के सङ्कलन में बड़ी हिम्मत और धन की प्रावश्यक्ता है। इनके प्रकाशन और सङ्कलन में हजारों बल्कि लाखों रुपयों के व्यय और बहुत बड़ी आयोजना की जरूरत होगी। यह कार्य तभी सफल हो सकता है कि जब प्रत्येक पौरवाल बन्धु इस कार्य में तन, मन, धन से सहायता करे। हमें पूर्ण आशा है कि हमारे प्रत्येक पौरवाल बन्धु इस कार्य में हम से सहयोग और सहानुभूति प्रदर्शित करेंगे। परन्तु हमें खेद के साथ कहना पड़ता है कि इस विषय में अब तक पौरवाल समाज की तरफ से हमें कोई प्रोत्साहन नहीं मिला है और न अभी तक इतिहास को संग्रहित करने के लिये योग्य सम्मतिएं ही प्राप्त हुई हैं परन्तु कार्य जारी है पौरवाल बन्धुओं को इसकी तन मन धन से. सहायता करना चाहिये। सम्पादकगणपौरवाल हिस्ट्री पब्लिशिङ्ग हाउस, सिरोही (राजपूताना)