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________________ (१२) जिस तरह स्त्रियों को सुधारने के लिये कहा जाता है उसी तरह पुरुष वर्ग को भी सुधार की लाईन पर आना चाहिए । वस्तुतः पुरुष यदि सुशिक्षित और सुसंस्कारित हों तो घर का अंधकार बहुत कुछ कम हो जाता है। स्त्री का सदाचार तेज उच्छृखलता रूपी कांटे के बाड़ में फंसे हुए पुरुष तक पहुंचते कदापि देर लगे परन्तु पुरुष की धार्मिक रोशनी घर में उजेला करने को सत्वर सफल हो सकती है। बहुतसों का ऐसा भी मानना है कि पत्नी का अच्छा या खराब होना यह मुख्यतः पति पर ही अवलम्बित है एक अच्छी स्त्री को खराब पति खराब बना सकता है। पत्नी के जीवन दशा का बहुत सा भाग पति का बनाया हुआ होता है। कन्या पिघले हुए शीशे के सदृश्य है उसको पति जैसे सांचे में ढाले जाय वैसी ही वह बन सकती है। ___ यद्यपि पुरुष कितना ही अधिक माय रखता हो तो भी उसे अपनी पत्नी को मितव्ययी बनाने की आवश्यक बातें समझाना चाहिए । उचित कर्म खर्च से बचा हुआ द्रव्य भी एक तरह की आय है अपनी स्थिति और कुलीनता के अनुरूप खर्च रखना ही अपनी शोभा है। गृह कार्य-भार स्त्री को चलाने का है, पीसना, पकाना और धोना ये स्त्री के लिए अच्छी से अच्छी कसरत है इसके लिए नौकर रखना और पत्नी सुख में बैठी रहे इसमें पत्नी के लिए शारिरिक और नैतिक दोनों तरह के गैर लाभ हैं यदि काम अधिक प्रमाण में हो और अकेली पत्नी से पूरा नहीं होता हो ऐसी हालत में नौकर रखना यह एक दूसरी बात है। हमेशा गृह कार्य का संपादन पत्नी की तरफ से ही होना चाहिए यह अधिक अनुबोधनीय है तथा हर तरह से लाभकारी है। . परन्तु आजकल अंग्रेजी फैशन और आजकल की सभ्यता ने भारत देवियों को और खास करके नगर वासिनियों को ऐसी शिथिल बनादी हैं कि उनको अपने हाथ से घर का काम काज करने से थकावट हो जाती है, शर्म आती है और उनको अपनी सभ्यता के विरुद्ध दिखता, है इस सभ्यता की लोफर भावनाओं ने नारी-जीवन को निर्बल बना दिया है। परन्तु आज गांवों की महिलाएँ परिश्रम और मेहनत का काम करती हैं जिससे वे हट्टी कट्टी दिखती हैं। तन्दुरुस्ती बल और उल्लास ये परिश्रम और मेहनत पर अवलम्बित हैं।
SR No.541510
Book TitleMahavir 1934 01 to 12 and 1935 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size14 MB
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