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(२०) बैंगनी पक्का:.. पतंग चूर्ण-२ छटांक-४ माउन्स, पानी-५ सेर-१ गैलन, फिटकिरी
पाव छटांक-आधा भोस। ... १५ मिनट इसे पानी में उबाल कर छान डालिए । इस गरम सत में १५ मिनट कपड़ा भिगोकर निचोड़ डालिए ।
सोडा-पाव छटॉक-माधा नौंस; पानी-५ सेर १ गैलन
इसमें कपड़े को भिगो कर १० मिनट बाद निचोड़ डालिए। छांह में कपड़े को मुखाना चाहिए। - यह रंग साबुन से धोने से स्थायी नहीं रहता, केवल पानी से ही धोने
से कुछ रंग माता प्रता है। रंगने के समय सोडा न देने से भी काम चल सकता है, परन्तु सोडा के न रहने से रंग बैंगनी बनकर लाल बनता है।
( २१ ) गुखावी पका:सापुन-आधी छटांक-१ भोस; गरम पानी--डेढ़ सेर-प्राधा गैलन ।
साबुन के छोटे-छोटे टुकड़े काट कर पानी में घोल दीजिए। इसमें .. करीब १५ मिनट तक कपड़े को भिगोकर निचोड़ डालें और साफ पानी से विना धोये मुखा डालें। .
मंजिष्ठा चूर्ण-४ छटांक-८ औंस; पानी--५ सेर-१ गैलन; फिटकिरीमाधी छटांक-१ भोस।
एक ऐसे बर्तन में जिसमें दस सेर जल आसके इन्हें चूल्हे पर चढ़ा दीजिए। कपड़े को पानी में छोड़ कर एक बड़ी से अच्छी तरह हिलाते रहिये जिसमें मंजिष्ठा (मजीठ) का चूर्ण कपड़े पर अच्छी तरह लग जावे । एक घण्टे का खूब धीमी आंच में कपड़े को पानी में गरम करें, और बीच-बीच में लकड़ी से चलाते रहिये। अब इसे निचोड़ कर १ छटांक सोड़ा और ५ सेर पानी में साथ घण्टे तक उबाल कर मुखा डालना चाहिये। .. - (१२) साखरंग पका:२. पर कपड़े को मंजिष्ठा से लाल रंग में रंगने की विधि लिखी भायमी, परन्तु इस रीति से रंग कुसुम के फल के रंग से उज्वल नहीं होगा।