________________
( १०३ )
गोचर नहीं हो रही है ? उसका एक काम उत्ताने इस शाति के पूर्वजों के मोरवपूर्ण इतिहास को सामने रखना ही है।
-
यहां यदि कोई शंका करे कि सिंहों की अपने पूर्वजों की वीरता के गुया मान सुनाने की क्या धावश्यकता है, वे तो स्वयम् ही उनके अनुरूप होते हैं तो उसका जवान यह है कि एक सिंह-शिशु जो भाग्य वश भेड़ों में मिल गया है और अपने वास्तविक स्वरूप को भूल बैठा है, उसे उसके असली रूम का शोध कराने के लिये सिंहों का प्रतिबिम्ब दिखाना ही होगा, कानों में केसरी गर्जना पहुंचानी ही होगी, तभी वह अपना वास्तविक स्वरूप समझ सकेगा। प्रभु महावीर के उपासक जो भाज भ्रमवश कायरता का जामा पहने हुए हैं, इनसे व अनर्थकारी जामा बल्लातू छीनना होगा । इसका केवल एक
उपाय है और वह यह है कि जनके पूर्वजों के आन मान पर मर मिटनेवाले वीर-रस- पूर्ण कारनामें सुनाये जायें, जिनको सुनते ही वे उन्मत्त होकर नाच उठें और गरज कर बोल उठे कि :
हम जाग प्रदे सब समझ गये, करके
हां विश्व गगन में अपने को,
दिखा देंगे।
फिर एक बार चमका देंगे ॥
भज्ञात् ि
* इस लेख के तैयार करने में मुझको श्री० अयोध्याप्रसाद गोक्लीव लिखित "मौर्य साम्राज्य के जैनवीर" नामक पुस्तक की भूमिका से बहुत कुछ सहायता मिली है, एतदर्थ में लेखक महोदय को धन्यवाद देता हूँ।
यो