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दूमर समाजों की प्रगति 00000000000006
'महावीर' पोरवाल समाज के लिये प्रकाशित होता है। दूसरे समाज क्या कर रहे हैं, वे किस कदर प्रगति पन्थ में अग्रसर हो रहे हैं, यह भी जान लेना उसके लिये आवश्यक है । ओसवाल समाज की जाग्रति को देख कर, उसके प्रथम सम्मेलन के होने बाद ही, पोरवाल युवकों ने अ० भा० पो० म० सम्मेलन की प्रवृत्ति उठाई थी । संसार में एक को कर्तव्य परायण होता देख कार्य में लगना या दुराचरण के पंथ में प्रवृत्ति करता देख दुराचरण की ओर आकर्षित होना मनुष्य के लिये आसान और स्वाभाविक बात है। ओसवाल समाज ने अपने दो सम्मेलन कर दिखाये। जिसके प्रत्यक्ष फलस्वरूप 'ओसवाल धारक 'पातिक पत्र का प्रकाशन होने लग गया है। भिन्न २ प्रान्तों में सुधारक गण सम्मेलन के सन्देश या आदेश को घर २ पहुंचाने का पुण्य प्रयास भी कर रहे है ।
युवक वर्ग ने मिल कर 'अखिल मारतीय ओसवान युवक परिषद भी कायम की है। श्रोतवाल युवकों का समाज-सुधार सम्बंधी प्रयत्न भी सर्वथा सराहनीय है।
___ सब से अधिक महत्व पूर्ण एवं जाति हितकारक प्रवृत्ति 'श्रोतवाल जाति का इतिहास' के प्रकाशित होने की है। यह इतिहास प्रकाशित हो चुका है, लेकिन हमारे पढ़ने में अभी तक नहीं आया । भाज हम उसके गुण दोषों के विवेचन को लिखना नहीं चाहते न हम बिना उसको पढ़े वैसा कर ही सकते हैं । हम केवल 'महावीर' के प्रवीण पाठक यानी हमारे पोरवाल समान का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाइते हैं । जातीय इतिहास की आज कैसी आवश्यकता है यह बात नवीनता से लिखने की जरूरत नहीं है इसके लिये हम इसी अंक में प्रकाशित " जातीय उत्थान और इतिहास" शीर्षक लेख की ओर पाठकों का ध्यान खींचना चाहते हैं । पोरवाल समाज, यदि