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शा. फोजमल कपुरचंदजी चिमनाजी रिखबाजी बेड़ा. नांणा. चांवडेरी
"
शा. हिम्मतमल धनाजी " प्रेमचन्द अमीचन्दजी
" रायचन्द केसाजी
" ताराचन्द मूराजी
” दलीचन्द चेनाजी
" मूलचन्द खिमाजी
जिताजी कुत्राजी
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” वने चन्द दीपाजी
केरींगजी राजाजी
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" मांनमल नथुजी
" बनेचन्द मेघाजी
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धनरूपजी जिताजी
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राणीगांव.
शा. भबुतमलजी फोजमलजी ” लिखमाजी चन्द्रभाणजी
91
बीरचन्द नवाजी " चिमनीरामजी डुकमाजी
” जस्साजी पनाजी पीसावा
इंसाजी किश्नाजी
19
11
हस्तीमलजी पोमावा
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" अचलदास भीखाजी पावो उमेदमल पूनमचन्दजी पालड
99
वीरचन्द लिखमाजी
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" वरदीचन्द भबुतमलजी
पनाजी नेताजी
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” फोजमलजी हीराचन्दजी
चेनमल पुखराजी
19
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नोट - १ इण पत्रिकारा ठहराव, इण में दर्शाई हुई बाबदों सुंहीज ताल्लुक राखे हैं, सो इने हरेक बहरेक पढ़ने अमल करणो. इणरो भिन्न अर्थ कर लिखिया उपरान्त अन्य बाबदों में दुरुपयोग करणो नहीं |
नोट - २ श्री ओसवाल समाज ने मोरी सविनय प्रार्थना है के, आपणां ज्ञाति रिवाज करीब एकसा है और व्यापारिक परिस्थिति भी समान असर करे हैं, इतरोहिज नहीं प्रपणे परस्पर घनिष्ट सम्बन्ध भी है सो परी समाज में भी, समयानुकूल ए ठहराव होवणरी तात्कालिक जरुरत है ।
हम अठा सुं श्रीमान् पन्नाजी भीमाजी ऊपर एक पत्र लिख " ओसवाल ज्ञाति सुधारक मंडल" स्थापवारी अर्ज किनी हैं. जो कि श्रपरी समाज बहुत विशाल और विस्तार में होत्रणरी वजह से अकसर ढील होवयरी सम्भावना है. परन्तु हालरी परिस्थिति देखतां सुधारा जल्दी होवयरी श्रावश्यकता है ।