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________________ ( ४ ) समति होती जाती है और सूक्ष्म २ शोधखोलें ( Discoveries ) होती जाती ह और सामान्य मानव बुद्धि चकित होने लगती है. वे ही बातें जैन धर्म के प्राचीन ग्रन्थों (Manuscripts) में सैकड़ों वर्ष पूर्व से मिलती हैं जैसे (Science) विज्ञान सब से बड़ी ( Atomic and molecular theory) परमाणुवाद की मान्यता, परमाणु की गति परमाणु का शक्ति परमाणु की अनंत धमात्मक गुण, वनस्पति में रही हुई आहार मैथुन आदि संज्ञायें, भाषावर्गणा के पुद्गल और लोकाकाश में उनका भ्रमण, (Medium of motion & rest ) धर्मास्तिकाय और धर्मास्तिकाय, रात्रि में उत्पन्न होते हुए सूक्ष्म जन्तु ( Ephemeral germs श्रर जलबिन्दु में असंख्यात जन्तु श्रादि अनेक वैज्ञानिक बातें जैन धर्म के साथ धनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं और जैन धर्म का पूर्ण प्रभाव विज्ञान पर पड़ रहा है, जैन धर्म के इस वैज्ञानिक विषय को लिखने के लिये एक बड़े ग्रन्थ की आवश्यक्ता है इस छोटे से लेख में सविस्तृत वर्णन करना अशक्य है । (२) आधुनिक संसार पर सब से बड़ा संकट (Calamity) होवे तो केवल आर्थिक स्थिति का है. क्योंकि मशिनरियों के अविष्कार से निरुद्यमापना बहुत बढ़ गया है और लोग अनावश्यक परिग्रहवादी होगये हैं इसलिये जैन धर्म का देशविति के अमूल्य सिद्धान्त अहिंसा, सत्य ब्रह्मचर्य, अस्तेय और निस्परिगृह आदि के प्रचार सिवाय इस प्रश्न को ( Solve ) हल करना अत्यन्त कठिन है । अगर इन अमूल्य देशावेरति सिद्धान्तों का प्रचार होने में विशेष विलम्ब हुआ तो जगत का आर्थिक के साथ २ मानसिक और शारीरिक प्रचण्ड हानि पहुंचेगी इस में कोई सन्देह नहीं । १ ( ३ ) आधुनिक संसार को आकर्षित करने वाले और जैन धर्म जानने की जिज्ञासा उत्पन्न करने वाले घर बैठे गंगा जैसे समाज के पास दो भव्य स्थान साधन रूप हैं। एक तो माउंट आबू ( Mount Abu ) के अनुपम शिल्प कला के केन्द्र स्थानरूप जिनालय और दूसरा कलकत्ते में रायश्री बद्रीदामजी की वाटिका का मनोहर मंदिर । ये दो स्थान में ऐसी आकर्षण शक्ति है कि गवर्नर जनरल से लगाकर सामान्य व्यक्ति तक चाहे देशी हो या विदेशी हो, कलकत्ता या माउंट आबू आवे तो इन दोनों स्थानों पर आये बिना नहीं रहते । माउंट आबू पर तो मेरा स्वानुभव है कि वहां आकर ( Visitors ) प्रेक्षक लोग आश्चर्य
SR No.541505
Book TitleMahavir 1934 08 to 12 Varsh 01 Ank 05 to 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi and Others
PublisherAkhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
Publication Year1934
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Mahavir, & India
File Size11 MB
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