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बलवान बनाइए : समाज की कुप्रथाओं को बिना संकोच के उखाड़ दीजिए। भापको जाति के गुरुकुल, हाईस्कूल, विद्यालय, कॉलेन, अनाथालय, विधवाश्रम, कलाभवन स्थापित करके उन संस्थाओं के पीछे अपनी आत्मा की समी शक्रियाँ लगाइए, उन्ही संस्थाओं में से आप अपने ही लेखक, कवि, विद्वान् , उपदेशक, साधु और नेता उत्पन्न कीजिए, इन्हीं से आपके मारवाड़ का नहीं घन्कि सारी पोरवाल जाति का उद्धार होगा, दूसरे देश के साधु या श्रावकों की वरफ झूठी आशा से मुंह ताक कर मत बैठिए कि हमारे देश का उद्धार गुजरात के प्राचार्य, उपाध्याय, साधु, साध्वी और श्रावक आकर करेंगे? ऐसी भाशा
आप बहुत दिनों से करते आए हैं परन्तु आपके मारवाड़, मेवाड़, मालवा मादि देशों का उद्धार किसी अन्य देशीय साधु, श्रावकों ने किया है, क्या ? यही बात मैंने कुछ वर्षों पहिले "मारवाड़ जैन सुधारक” पत्र में लिखी थी। हाँ ! श्रीमान् विजयवल्लभसूरिजी और उनके कुछ शिष्य जरूर धन्यवाद के पात्र हैं कि इन्होंने कई वर्षों से मारवाड़ में अनेक कष्टों को सहते हुए गोडवाड़ को सुधारने का प्रयत्न किया है। सिरोही स्टेट के पोरवालों को सुधारने के लिए भी ये महात्मा प्रयत्न करेंगे, ऐसी आशा और प्रार्थना क्या जोरामगरा-सिरोही स्टेट के लोग नहीं करते हैं ?
एक बात मैं कहना चाहता हूं कि जैनधर्म में साधु को भिक्षा देने का बहुत पुण्य है, जहां तक हो सके अतिथि-भिक्षुक को निराश नहीं करना भापका कर्तव्य है, अतः में निम्नलिखित चीजों की याचना भिक्षा श्री पौरवा जाति से करता हूं। मुझे पूर्ण आशा है कि याचित चीजों में से यथाशक्य वस्तु वो माप जरूर देंगे। १-सारी जाति में भादर्श शिक्षा का प्रचार करो। बालक-बालिकाओं
___ को सभ्य-विद्वान् और सदाचारी बनाओ। २-पोरवाल जाति में प्रादर्श लेखक, वक्ता, कवि, विद्वान् , साधु, नेवा ३. बनाओ। जो पावश्यकीय सुन्दर संस्थाओं की सेवा कर सकें। ३-पौरवाल जाति के पूर्व पुरुषों के आदर्श, गुण, चरित्र इतिहास को
वर्तमान समय की भिन्न २ भाषाओं में लिखो जिससे पौरवाल माति का गौरव बढ़े।