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इस तरह से अपनी पुत्री को सुख के रास्ते पर रखना ही उनका स्वाभाविक और प्रावश्यक कर्तव्य है। इस कर्तव्य के पालन में वे जितनी कमी रखते हैं उतने ही अंश में वे अपनी कन्या के विरोधक होते हैं। __एक वृद्ध अमीर ने एक बाला के साथ लग्न किया और उसको बड़े भालीशान महल में लक्ष्मी की अर्पूव सौन्दर्य धारा से सजे हुए कमरे में स्वर्ण के सिंहासन पर विराजमान की। उसके आगे भारी २ जवाहिरात. हीरा, मोती माणक आदि रत्न-और अपनी विविध एश्वर्य-लक्ष्मी के निर्देश से उसको रिझाने लगा। तब वह कन्या हिम्मत पूर्वक कहने लगी कि "मैं जानती हूं कि तुम्हारे पास समुद्र समान लक्ष्मी है तो भी मैं स्पष्ट शब्दों में कहनी हूं कि एक साधारण कुटि में जिसकी जंघा में गोली लगी हो ऐसे युवक के वक्षःस्थल पर सिर टिका कर पड़ी रहने में मुझे जो प्रसन्नता दिखती है उसके बजाय इस लक्ष्मी के मंदिर में मुझे साफ अकाल दिखता है ।
क्या यह वृद्ध विवाह या अनमेल विवाह के लिये कम फटकार है ? उम्र के मेल बिना का विवाह ही अनमेल विवाह कहा जाता है। यह विवाह शरीरलम जरूर कहा जा सकता है, परन्तु हृदयलग्न अथवा प्रेमलग्न तो कभी भी नहीं कहा जा सकता। और जहां पर हृदय लग्न नहीं है वहां पर उसका नतीजा क्या भाता है यह बात हम सब अच्छी तरह से जानते हैं। .. . ,
उम्र का अन्तर वर्तमान समय को देखते कम से कम पांच से छ वर्ष का होना हितावह है। चौदह वर्ष की कन्या के साथ १६-२० वर्ष के हृष्टपुष्ट सचरित्र युवक का विवाह ठीक गिना जा सकता है। पांच वर्ष से लेकर दश वर्ष का अन्तर अघटित नहीं है परन्तु इससे अधिक अन्तर का विवाह ही अनमेल विवाह गिना जाता है । वृद्धविवाह यह तो अनमेल विवाह की पराकाष्ठा है। बीस वर्ष से अधिक अन्तर वाला विवाह ही वृद्धविवाह है। "; उम्र से वृद्ध होने पर भी जिनकी कामतृष्णा शान्त नहीं होती है और जो ऊँट के माफिक अपनी गरदन पर बकरी या बिल्ली लटकाने का नीच कृत्य करने लग जाते हैं, वे खास कर विवाह के बहाने एक बालिका को जलती हुई भट्टी में पटक देते हैं। धन की थैली के लोभ में अन्धे बन कर बड़े दुलार से पाली दुई प्रनी प्यारी पुत्री को बुड्ढ़े को बेचने वाले मांबाप कसाई के हाथ