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स्वीकृत नियम १३-लोकाचार कवारा जा सकता है। १४~ पापड खिचियाँ का जो सोग रक्खा जाता है वह बन्द किया जाता है । १५-दो साल तक उमर के बच्चे का सोग २ मास तक, व दो साल से ७ साल
की उमर के बच्चे का सोग ३ मास तक व सात से जियादा उमर का
कुंवारे का ६ मास तक सोग रक्खा जाय इससे जियादा न रक्खा जाय । १६-परणा हुआ आदमी मरे तो उस से व बेवा से बडी उमर वाले 8 मास तक व छोटी उमर वाले ६ मास तक सोग रक्खे ज्यादा नहीं ।
मुख्य नियम सम्बन्धी १-सात साल से लगाय बारह साल तक लड़की को पढ़ाने भेजना फर्जी होगा। २-छोणे लाना कतई बन्द किया जाता है घरके धराव की माफी है। ३-दांत का चूड़ा पहिनाना बंद किया जाता है । ४-रेशमी कपड़ा वापरना बंद किया जाता है मगर जिस किसी के घर में जो
मौजूद है वह पहिन सकता है नया न खरीद करे । ५-सम्मेलन में वृद्ध विवाह रोकने का निश्चय हुआ है वह कायम रक्खा जाता
है सो आइन्दा ४० वर्ष की उमर से जियादा उमरवाला शादी न करे । ६-बाललग्न को रोकने के लिये १८ वर्ष से कम उमर का लड़का व १४ वर्ष
से कम उमर की कन्या का लग्न न किया जाय । ७-सम्मेलन में जिसके साथ रोटी बेटी का व्यवहार से हुआ है वह कायम
रक्खा जाता है। ८-जीमन करने की रजा चार रोज पहिले ली जाय और रजा होने के बाद
उस जीमन में किसी किसम की तकरार न डाली जाय गोरव व शीरांमणी -के दिन नेतरा देना हो तो पंच इकडे करे वरना पंच इकडे करने की जरू
रत नहीं है। ६-शादी के मुताल्लिक सम्मेलन के रूल की पाबंदी करते हुए अपने नियात
में जो लड़कियाँ ५ साल से ऊपर की हो उनके सगपण २ साल के अंदर