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महावीर पैदा की है, उसकी प्रशंसा करना हमारी शक्ति के बाहर है। मगर अन्य मुनिराज भी इस देश के कष्टों के प्रति जरा भी लक्ष न देते आपश्री के समान उपकार वृति में तत्पर रहें तो सम्भव है कि सच्चे धर्म की उन्नति शीघ्र ही होजाय । मगर हमको इस बात का दुःख है कि त्यागी महात्माओं को गुजरात का चरण ही प्रिय है
और साथ ही साथ चाय का मोह भी नहीं छूटता । उपकारिक आस्माएं इस क्षेत्र की तरफ अवश्य ध्यान दें। ___ योगनिष्ठ योगीराज अर्बुदाचलवासी अनन्त जीव प्रतिपाल योगलब्धि राजराजेश्वर श्रीमद् शान्तिविजयजी महाराज ने पधार कर शांति का पाठ जो जनता को सिखाया, वह भाग्यशालियों के हृदय से कभी नहीं मिट सकता। मापने भी अर्बुदाचल की मधुर शीतल छाया का त्याग करके अनेक कष्टों को सहन कर यहाँ तक पधारे जिससे हमारे हृदय पर जो प्रकाश पड़ा है उसका कथन करना मेरी शक्ति के बाहर है । अतएव मैं आप श्री का बहुत आभारी हूं।
हमारी जैन जाति के जागृत करने का बीजारोपण करने वाले हमारी कॉनफरेन्स देवी के परम पिता वयोवृद्ध श्री गुलाबचन्दजी डड्ढा एम० ए० जयपुर निवासी ने पधार कर हर एक कार्य में हमारी पथ दर्शकता की अतएव हम आपका सहदय उपकार मानते हैं और मापके पुत्र श्रीमान् सिद्धराजजी डड्ढा, एम. ए. एल-एल. बी. ने भी हमारे कार्य में जो सहायता की है उसकी प्रशंसा किये बिना नहीं रह सकते।
हमारे स्थानीय महानुभाव श्रीयुत् ताराचन्दजी दोसी, श्री अचलमलजी मोदी, श्रीयुत् बी० पी० सिंधी, श्रीयुत् भीमाशंकरजी शर्मा और पंडित चतुर्भुजजी शर्मा का उपकार भी माने बिना हमसे नहीं रहा जाता। क्योंकि इन महानुभावों ने सम्मेलन के कार्य को अपनाया और सच्ची मित्रता का परिचय दिया, इसके वास्ते मेरा हृदय अन्तःकरण पूर्वक आभार मानता है। शासनदेव ऐसे समाज सेवकों की दीर्घायु करें और साथही साथ मोदी रायचंदजी, बाफना हुकमीचंदजी ने भी सहायता दी इसके लिये उनके नाम का उल्लेख करना योग्य है ।
मुझे प्रतिनिधि महाशयों से जिन्होंने दर २ से पधार कर अपनी जाति की सहदयता का परिचय दिया है और अनेक प्रकार के कष्टों का किंचित् विचार न कर हमारे कार्य को अपनाया है और साथ ही साथ हर प्रकार के कष्टों को