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भी पोरवाल सम्मेलन
सभापति का प्रागमन पश्चात् सम्मेलन के योग्य सभापति सूरत निवासी सेठ दलीचंद वीरचंदे भाफ, सेठ रणछोड़ भाई रायचंद जवेरी प्रादि नेताओं का आगमन हुमा। आपका खूब स्वागत किया गया और मोटर में बिठा कर वीरनगर में लाये गये। ...समय पर सभापति महोदय के पधारने पर आपका स्वागत बैण्डबाजे द्वारा किया गया। सात बालकों ने अंग्रेजी में वैलकम का मनोहर गायन किया। श्री. चिम्मनलाल मोजक ने 'ॐ अई भगवंत् नमोरी' कविता द्वारा मंगलाचरण किया। कविरत्न श्री भोगीलाल रतनचंद पाटन वालों ने निम्नलिखित भजन बड़ी अच्छी ध्वनि से गाया । जो उपस्थित मंडली को बहुत पसन्द आया । स्वागत तणा समारंभ थी, हृदय उर्मी ऊछले ।
भभूतमल ना प्रयास थी, जल हल ज्योति जल हले ।। शोध्या प्रमुख उत्साही ने, सेवा भावी साथे मिल्या ।
सेठ दलीचन्द शोभता, जेणो नाम तो उज्वल कर्या । पोरवाड़ नी इति तणा, व्यवहार ने सुधार जो।
_ 'भोगी' तणी छे बीनती, मरु भूमि ने शोभाव जो ॥ इसके पश्चात् मोजकों के छोटे छोटे दो बालकों ने हारमोनियम पर एक सजन गाया जिसका एक अंतरा इस प्रकार है:
मा महावीर तीर्थे मनहर मंडप, देखी दिल ललचाय, मा प्राग्वाट नी परिषद पेखी, हियडूं मुझ हरषाय ।
ऐ थी ज्ञाति उदय झट थाय ॥ इस समय पंडाल की उपस्थिति करीव १२००० के थी। सभापति के लिये कुर्सी मेज न लगा कर प्राचीन रीत्यानुसार गद्दा तकिया लगाया गया था । उपस्थित सज्जनों में श्री सेठ गुलाबचंदजी दवा, मजिस्ट्रेट साहिब श्री० अमृतलाल मकरसी, पा० जालमचंदजी बापना, श्री० सेठ उदयचंदजी रामपुरिया, श्री० सेठ रखनचंदजी गोलेका श्री० डी० सी० गैमावत, पं० चतुरभुजजी, मोदी रायचंदजी, मोदी इन्द्रनाथजी जोधपुर, सेठ फौजमलजी, बालाजी, संघवीजी डाह्याजी देवीचंदजी, श्री० ठाकुर किसनसिंहजी, श्री लक्ष्मणसिंहजी, श्री० सेठ राजमलजी