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________________ ७४ આગમત तो भी मंत्राक्षर के श्रवण करने के मुताबिक सिर्फ सूत्रों के श्रवण और अध्ययन से भी निर्जराका बड़ा फायदा हैं। ३४ प्रश्न-आवश्यक के सूत्र किसने बनाये और वे अंगवाहिर क्यों गिने जाते हैं ? उत्तर-आवश्यक के मूल सूत्र गणधरमहाराज ने बनाये है. और उनकी नियुक्ति श्रीभद्रबाहुस्वामी ने बनाई है. यह बात विशेषावश्यकभाष्य और आवश्यकनियुक्तिसे साबित है. जैसे स्थविर के बनाये सूत्र अंगबाह्य गिने जाते है. वैसे ही 'उप्पन्ने इ वा' इत्यादि त्रिपदीके सिवाय मुत्कल रचना को और सब तीर्थ में नियत नहीं होवे वैसे सूत्रों को भी अंगबाह्य सूत्र कहते हैं. श्रीमहावीरमहाराज के समय में मेघकुमार, खंदक आदि सब सामायिकादि के पाठक थे, ऐसा ज्ञातासूत्र और भगवतीजी में स्पष्ट लेख है. ३५ प्रश्न-क्या पुक्खरवरदीवड्ढे और सिद्धाणं बुद्धाणं सूत्र प्राचीन हैं. उत्तर-आवश्यकचूर्णिकार ____ " एवं सुत्तं (पुक्खर०) पढित्ता पणवीसुस्सासमेव काउस्सग्गं करेइ (आ. ७८९) ऐसा कहके इनकी व्याख्या करते हैं, और सूत्र समान ही पठन . कहते हैं. उत्तराध्ययनमें सामाचारीअध्ययनमें भी इन दोनोंका उल्लेख है.. बन्दारुवृत्तिमें भी इनको गणधरकृत साफ साफ कहा है. ३६ प्रश्न-आवश्यक पर कौन २ आचार्यजी ने विवरण किया ? उत्तर-आवश्यक सूत्र पर पेश्तर श्रीभद्रबाहुस्वामीजीने नियुक्ति बनाई, बाद उस पर मूल भाष्य और दूसरा भाष्य बना. बादमें आवश्यकसूत्रादिका विवेचन चूर्णिसे जिनदास महत्तरजीने प्राकृत से और श्रीहरिभद्रसूरीजी और मलयगिरीजीने संस्कृतसे बयान किया.
SR No.540002
Book TitleAgam Jyot 1967 Varsh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgmoddharak Jain Granthmala
PublisherAgmoddharak Jain Granthmala
Publication Year1967
Total Pages316
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Agam Jyot, & India
File Size20 MB
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