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________________ ७१ પુસ્તક ૪-થું क्या खरतरगच्छीय लोग आषाढ चौमासे बाद तिथौ वृद्धि होगी तो भादवा सुदी ३ को संवत्सरी करेंगे ? कदापि नहीं, जैसे पांच मास होते भी चतुर्मासी आषाढादि में ही होवे वैसे अधिक मास होते भी संवच्छरी भादवा में ही होवे, ___ जो लोक पक्खी की तिथिओमें चौदह या सोलह तिथि और चौमासी में पंच मास वगेरे बोलते है वो शास्त्र से खिलाफ है. अन्यथा क्षामणा का एसा पाठ शास्त्र में से दिखावे. २८ प्रश्न-जिस वर्ष में मास की वृद्धि होवे उस वर्ष में चौमासी से बीस दिन बाद सांवत्सरिक करना ऐसा शास्त्र में फरमान नहीं है क्या ? उत्तर-महानुभाव ! पोष, आषाढ की वृद्धि होनेपर चौमासी बाद वीस दिनसे पर्युषण करना यह बात है, लेकिन यह बात संवत्सरी के लिये नहीं है, किंतु साधुओं के स्थिरतारूप पर्युषणा के लिये हैं. क्योंकि पौष और आषाढ बढने से बारीश जल्दी हो जाती है, इससे स्थिरता का नियम जल्दी कर लेना चाहिये । __ जो लोक अभिवर्धित वर्ष में बीस दिन से पर्युषणा करते है उनको सोचना चाहिये कि शास्त्रकारोंने पौष वगेरह किसी भी मास वृद्धि होने पर आषाढ चौमासी से बीस दिन बाद पर्युषणा करनी कही, तो आप लोक चैत्र वैशाख जेष्ठ आषाढ बढने पर क्यों चौमासी से बीस दिन बाद संवच्छरी पर्युषणा नहीं करते हो । २९ प्रश्न-स्थिरता के नियम की पर्युषणा और सांवत्सरिक की पर्युषणा अलग २ है क्या ? उत्तर-देवानुप्रिय ? ये दोनों पर्युषगा अलग २ हैं, क्योंकि स्थिरतारूप पर्युषणा तो उत्सर्गसे आषाढ में ही करलेनेकी हैं, अपवाद से ही ‘पांच २ दिन बढाकर करने की है, और आखिर भादवे में तो जरूर कर लेना चाहिये. सांवत्सरिकरूप पर्युषणा तो भादवे में ही करने की हैं।
SR No.540002
Book TitleAgam Jyot 1967 Varsh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgmoddharak Jain Granthmala
PublisherAgmoddharak Jain Granthmala
Publication Year1967
Total Pages316
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Agam Jyot, & India
File Size20 MB
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