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________________ पुस्तः ४-थु २२ प्रश्न-सामायिक पास्नेके समय इरियावहि ० आदि क्यों करना ? उत्तर-प्रतिक्रमण करके स्वाध्याय किये बाद शयनका चैत्यवंदन करने के लिये प्रतिक्रमण के अन्त में इरियावही करनी पडेगी, और सामायिक में जो प्रमार्जनको न्यूनतादिसे दोष लगे उसके लिये इरियावहिया करनी ही चाहिये. २३ प्रश्न-जावन्ति चेहआई, जावंत केशवि साहू आदि सूत्र आवश्यकमें नहीं है, तो फिर क्यों कहे जाते हैं ! उत्तर-ललितविस्तरा, प्रवचनसारोद्धार, चैत्यवंदनबहद्भाष्य आदि में __ ये सूत्र कहने का लेख है, इसलिये कहना चाहिये. २४ प्रश्न-पंचाशक आदि में 'जयवीयराय' की सिर्फ दो गाथा है, तो फिर ___ज्यादा क्यों कहते हो? उत्तर-चैत्यवंदनबृहद्भाष्य जो वादिवेताल शांतिसरिजी का किया हुआ है, उसमें 'वारिजइ जइवि' (८४९) की गाथा और 'दुक्खक्खओ कम्मक्खओ' (८४६) की गाथा प्रणिधान माफिक कहने को कही है. वे आचार्य महाराज थीरापद्रगच्छ के है, इससे तपगच्छ के किसी आचार्यने यह गाथा बढाई है, ऐसा कहना व्यर्थ है. २५ प्रश्न-पक्खी प्रतिक्रमण चतुर्दशी को करना या पूर्णिमा को ? उत्तर-श्रीशीलांकाचार्यमहाराज आदिने चौमासी प्रतिक्रमणको तो पूर्णिमा का कहा है, लेकिन किसीभी स्थान पर पाक्षिक प्रतिक्रमण पूर्णिमाके दिन करनेका नहीं लिखा है, अलावा इसके श्रीकालिकाचार्य महाराजने संवत्सरी प्रतिक्रमण भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का किया, इससे चउमासी प्रतिक्रमण भी चतुर्दशी का होता है. २६ प्रश्न-श्रीकालिकाचार्य महाराजको तो शालिवाहन राजा के आग्रह से चतुर्थी के दिन सांवत्सरिक करने की जरूरत थी, परंतु अब, क्यों करते हैं ?
SR No.540002
Book TitleAgam Jyot 1967 Varsh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgmoddharak Jain Granthmala
PublisherAgmoddharak Jain Granthmala
Publication Year1967
Total Pages316
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Agam Jyot, & India
File Size20 MB
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