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ढाल
ढाल
: या९ : भार्थ-अप्रील १८५८ : २७ : केटली प्रतिमा ? केनी वली ?,
वीतरागनी उगणीस प्रतिमा, कौण भरावी भाव ? ॥
वली ए बीजी सुन्दरु ॥ ए कोण नयरी कोण प्रतिष्टि ?,
सकल मिली ने जिनप्रतिमा, ते कहुं प्रश्ताव सू ॥५॥
छियालीस मनोहरु ॥८॥ १-“वीतरागनी उगणीस प्रतिमा वली )
बीजी सुन्दरू" बीजीसे मतलब १९ मूर्तियां ते सगली रे पैसट प्रतिमा जाणिये,
अन्य देवोकी ही है। और कई नाम तो आपने
लिख ही दिये है जैसे इन्द्र, ब्रह्मा, ईश्वर, चक्रेतिण सहुनी रे सगली विगत वखाणिये ॥ श्वरी, अंबिका, अर्ध नाटेश्वरी, विनायक, योगनी, मूलनायक रे पद्मप्रभुने पास जी,
और शासनदेवता इसमें शासनदेव तथा योगिनी एक चौमुख रे चौवीसी सुविलास जी ॥६॥ की अधिक संख्या होनेसे सबकी १९ लिखे हैं
जिससे ६५ की संख्या पूर्ण हो जाती है । १-कविवरजीने स्तवनमें सब ६५ प्रतिमाएँ कहीं है जैसे कि :
इन्द्र ब्रह्मा रे ईश्वर रूप चक्रेश्वरी, २-मूलनायक श्री पद्मप्रभ और पार्श्वनाथ एक अंबिकारे कालिका अर्ध नाटेश्वरी ॥ भगवानकी ।
विनायक रे योगणि शासनदेवता, १-चौमुखजी-समवसरणस्थित चार मुंहवाले। पासे रहेरे श्री जिनवर पाय सेवता ॥९॥ १-चौवीसी-अकही परीकरमें २४ तीर्थङ्करोंकी
त्रुटक मूर्तिएँ । २३-अन्यान्य तीर्थंकरोंकी प्रतिमा जिनमें दो सेवता प्रतिमा जिण करावी, काउस्सगिया भी है।
___पांच ते पृथ्वीपाल ए ॥ १९-और भी तीर्थकरोंकी मूर्तिएँ सब मिला चंद्रगुप्त बिन्दुसार अशोक, कर ४६ मूर्तिएँ हुई।
___ संप्रति पुत्र कुणाल ए ॥१०॥ १९-तीर्थकरोंके अलावा अन्य देवी देवता कनसार जोडा धप धाणो, एवं शासन देवताओंकी मूर्तियां भी ।
___घंटा शंक भंगार ए ॥ . कविवरने त्रूटकमें लिखा है कि :
त्रिसिटा मोटा तद कालना,
वली ते परकर सार ए ॥११॥ १-मूलनायक श्री पद्मप्रभकी प्रतिमा कराने
वालेका नाम कविवरने सम्राट सम्प्रति सूचित सुविलास प्रतिमा पास केरी, -
किया है, और चन्द्रगुप्त, बिन्दुसार, अशोक भौर वीनी पण तेवीसए ॥ कुणालका नाम संप्रतिकी वंश परम्परा बतलानेको
दिया है । संप्रतिको कुणालका पुत्र बतलाते हुसे ते माही काउस्सगिया बिहु
कविताकी संकलनाके कारण "संप्रति पुत्र, कुणादिसी बहु सुन्दर दीसए ॥७॥ लभे" कहा है। .
त्रुटक