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કલ્યાણુ
निम्नोक्त कृतियों का उल्लेख देसाई महोदय एवं पं. लालचंद भ. गांधीने अपने ग्रन्थो में किया है पर हम अभी तक अनुप - लब्ध हैं । इनमें से बहुत सी तो भ्रमित ज्ञात होती हैं जिनका सशंकित होना निश्चित है उनका भी नीचे उल्लेख किया जायगा ।
श्री देसाईजी के " कविवर समयसुन्दर " एवं जैन गूर्जर कविओ आदि में उल्लिखित: - १ पुण्याढ्य रास. २ संवाद सुन्दर.
पं. लालचंद भगनानदास गांधीने जेसलमेर भंडार सूची में:१ शील छत्तीसी सं. १६६९ २ बारहव्रत रास सं. १६८५ ३ श्रीपालरास. ४ प्रश्नोत्तर चौ. ५ हंसराज वच्छराज रास. ६ जम्बू रास. ७ नेमिराजिमति रास. ८ अंतरिक्ष गौड़ी छंद.
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प्रो. हीरालाल रसिकदास कापड़ियाने अनेकार्थरत्नमञ्जूषा की प्रस्तावना में :
१ जीवविचार वृत्ति का उल्लेख किया पर उसके नीचे की जो प्रशस्ति है वह दंडकवृत्ति की हैं ।
बाबू पूरणचंदजी नाहरने प्राचीन जैन हिन्दी साहित्य में:-- १ जिनदत्तर्षि कथा .
सशंकित कृतियां |
१ स्थूलभद्र रास ( प्रति. महावीर विद्यालय ) सं. १६२२ या संवत् गलत है या रचना उनकी नहि है ।
२ गाथालक्षण ( सं. १६७२ प्रति हंसविजयजी लायब्रेरी) कवि के लिखित प्रति की नकल है ।