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________________ महाकवि समयसुन्दर और उनका साहित्य. श्री अगरचंद नाहटा, बीकानेर. कल्याण के गताङ्क में कविवर समयसुन्दरजीके सं. १६८७ के दुष्काल वर्णनका शब्दचित्र प्रकाशित किया गया है । पर लेखक श्री अभ्यासी कविवरके रचित सत्यासीया दुष्काल वर्णन छत्तीसी से अपरिचित ज्ञात होते हैं; अन्यथा इस शब्दचित्र को वे बड़े ही सुन्दर रूपमें लिख सकते थे। इस दुष्काल वर्णन छत्तीसीके कुछ पद्य श्रीयुत् मोहनलाल दलीचंद देसाई को मिले थे जिन्हें उन्होंने जैनयुग वर्ष ५, अंक १, २, ३ में उन्हें प्रकाशित किये थे। उसके पश्चात् हमारी खोज निरन्तर चालू थी जिस के फलस्वरूप हमें इसके अवशिष्ट सारे पद्य उपलब्ध हो गए जिन्हें कविवरने अपने प्रिय ३६ संख्यात्मक रूपमें रखकर छत्तीसी के नाम से प्रसिद्ध किया था। प्रस्तुत दुष्काल वर्णन छत्तीसी को मैंने सम्पादित कर भारतीय विद्या के वर्ष १, अंक २ में प्रकाशित की है । दुष्काल का इतना हृदयद्रावक एवं सजीव वर्णन आज तक किसी भी अन्य कवि का देखने में नहीं आया। कविवरने इसमें दुष्काल की भयङ्करता का एसा रोमाञ्चकारी चित्र उपस्थित किया है कि पढने मात्रसे पाठक उस दुष्कालका नग्न चित्रपट अपने सन्मुख उपस्थित पाता है । इसके अतिरिक्त उस अमर रचना में तत्कालीन परिस्थिति, किन किन दानवीरोंने क्या क्या सुकृत किया ?, किन किन महापुरुषों-जैनाचार्योंका
SR No.539014
Book TitleKalyan 1945 Ank 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomchand D Shah
PublisherKalyan Prakashan Mandir
Publication Year1945
Total Pages148
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Kalyan, & India
File Size9 MB
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