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________________ अनेकान्त 69/1, जनवरी-मार्च, 2016 और नित्यस्नानादि के द्वारा शरीर की शुद्धि, ये तीनों प्रवृत्तियाँ (विधियाँ) शूद्रों को भी देव, द्विजाति और तपस्वियों (मुनियों) के परिकर्मों के योग्य बनाती है।' (नीतिवाक्यामृत) (4) 'आसन और बर्तन आदि उपकरण जिसके शुद्ध हों, मद्य-मांसादि के त्याग से जिसका आचरण पवित्र हो और नित्यस्नानादि के द्वारा जिसका शरीर शुद्ध रहता हो, ऐसा शूद्र भी ब्राह्मणादि वर्गों के समान धर्म का पालन करने योग्य है; क्योंकि जाति से हीन आत्मा भी कालादिक लब्धि को पाकर धर्म का अधिकारी होता है।' (सागारधर्मामृत) (5) 'इस (श्रावक) धर्म का जो कोई भी आचरण-पालन करता है, चाहे वह ब्राह्मण हो या शूद्र, वह श्रावक है। श्रावक के सिर पर क्या कोई मणि होता है? जिससे उसकी पहचान की जा सके।' (सावयधम्मदोहा) नीच-से-नीच कहा जाने वाला मनुष्य भी जो इस धर्मप्रवर्तक की नतमस्तक हो जाता है-प्रसन्नतापूर्वक उसके द्वारा प्रवर्तित धर्म को धारण करता है-वही इसी लोक में अति उच्च बन जाता है। इस धर्म की दृष्टि में कोई जाति गर्हित नहीं-तिरस्कार किये जाने के योग्य नहीं-सर्वत्र गुणों की पूज्यता है, वे ही कल्याणकारी हैं, और इसी से इस धर्म में एक चाण्डाल को भी व्रत से युक्त होने पर 'ब्राह्मण' तथा सम्यग्दर्शन से युक्त होने पर 'देव' (आराध्य) माना गया है। परन्तु यह समाज का और देश का दुर्भाग्य है जो हमने जिनके हाथों दैवयोग से यह तीर्थ पड़ा है- इस महान् तीर्थ की महिमा तथा उपयोगिता को भुला दिया है, इसे अपना घरेलू, क्षुद्र या असर्वोदयतीर्थसा रूप देकर इसके चारों तरफ ऊँची-ऊंची दीवारें खड़ी कर दी हैं और इसके फाटक में ताला डाल दिया है। अब खास जरूरत है कि इस तीर्थ का उद्धार किया जाय, इसकी सब रुकावटों को दूर किया जाए, इस पर खुले प्रकाश तथा खुली हवा की व्यवस्था की जाय, इसका फाटक सबों के लिये हर वक्त खुला रहे, सभी के लिये इस तीर्थ तक पहुंचने का मार्ग सुगम किया जाय, इसके तटों तथा घाटों की मरम्मत कराई जाय, बन्द रहने तथा अर्से तक यथेष्ट व्यवहार में न आने के कारण तीर्थजल पर जो कुछ काई जम गई है अथवा उसमें कहीं-कहीं शैवाल उत्पन्न हो गया है उसे निकालकर दूर किया जाय और
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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