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अनेकान्त 69/1, जनवरी-मार्च, 2016
वर्तमान में प्रचलित प्राकृत एवं अपभ्रंश साहित्य की शोध प्रविधियाँ : आधुनिक समय में प्राकृत एवं अपभ्रंश साहित्य में निम्न शोधप्रविधियों का प्रयोग किया जाता है। साहित्य विषयक आधुनिक शोधप्रविधियां इस प्रकार हैं :
१. सैद्धान्तिक अध्ययन - ऐतिहासिक, समीक्षात्मक, सांस्कृतिक, दार्शनिक, भौगोलिक, तुलनात्मक, काव्यशास्त्रीय, भाषाशास्त्रीय, शैलीवैज्ञानिक आदि प्रविधियों को सैद्धान्तिक अध्ययन के अन्तर्गत रखा जा सकता है। २. आधुनिक समस्याओं संदर्भ में अध्ययन- जैसे पर्यावरण, विश्वबंधुत्व, व्यक्तित्व विकास, पारिवारिक सामंजस्य, शिक्षा, धर्म एवं समाज, जातिवाद, आतंकवाद आदि के कारण और निवारण आदि समस्याओं के संदर्भ में प्राकृत साहित्य में विपुल सामग्री उपलब्ध है उस पर शोध कार्य करना।
३. पाण्डुलिपि विज्ञान से संबन्धित शोध कार्य - अभी भी हजारों प्राकृत पाण्डुलिपियां शास्त्र - भण्डारों में पड़ी है। उनका सम्पादन, संवर्द्धन आदि दुरूह कार्य तो है साथ ही उसका संस्कृति संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान भी सिद्ध हो रहा है।
४. कोशगत अध्ययन- प्राच्यविद्या के क्षेत्र में अनेक कोशों का निर्माण हुआ है लेकिन प्राकृत के क्षेत्र में आज भी बहुत कुछ करना शेष है। एतद्विषयक प्रभूत सामग्री उपलब्ध है। जैसे प्राकृत वाङ्मय कोश, सामाजिक कोश, व्यक्ति कोश, स्थान कोश आदि अनेक कोश संबन्धी शोध कार्य किए जा सकते हैं।
५. आधुनिक विज्ञान के संदर्भ में जैसे- चिकित्सा विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, नृ विज्ञान, भू विज्ञान, मनोविज्ञान से सम्बद्ध प्राकृत वाङ्मय में ही नहीं सम्पूर्ण भारतीय वाङ्मय में प्रभूत सामग्री उपलब्ध है, इन पर भी अनुसन्धानात्मक कार्य किया जा सकता है। भारत में प्राकृत अपभ्रंश अध्ययन से सम्बन्धित शोध-संस्थानों एवं विभागों की सूची
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1. प्राकृत एवं संस्कृत विभाग, जैन विश्व भारती संस्थान ( मान्य विश्वविद्यालय), लाडनूँ, राजस्थान