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________________ अनेकान्त 69/3, जुलाई-सितम्बर, 2016 44. भगवती आराधना, गाथा- 988-996, पृष्ठ 540-541 आर जेड 78/5अ, गली नं. 2, पूरन नगर, पालम पुलिस स्टेशन के पास, पालम, नई दिल्ली -110077 इष्टोपदेश यज्जीवस्योपकाराय, तद्-देहस्यापकारकम्। यदेहस्योपकाराय, तज्जीवस्यापकारकम्॥19॥ अर्थात् जो कार्य आत्मा का उपकार करने वाला है वह शरीर का अपकार करने वाला है तथा जो शरीर का उपकार करने वाला है वह आत्म का अपकार करने वाला है। आचार्य श्री विद्यासागरकृत पद्यानुवाद तन का जो उपकारक है वह चेतन का अपकारक है, चेतन का उपकारक है जो तन का वह अपकारक है। सव शास्त्रों का सार यही है, चेतन का उद्धार करो, अपकारक से दूर रहो तुम, तन का कभी न प्यार करो।।
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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