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________________ अनेकान्त 69/2, अप्रैल-जून, 2016 95 ओर मांगी और पूर्व की ओर तुंगी स्थित है। मांगी से तुंगी शिखर अधिक ऊँचा है। भतल से ही ऊँची-नीची और टेडी-मेडी 2000 सीढ़ियाँ चढ़कर हजारों वर्ष पूर्व प्रकृति द्वारा निर्मित विशाल तोरणद्वार तक पहुंचते हैं। इस तोरणद्वार के बाईं ओर से मांगी और दाहिनी ओर से तुंगी शिखर को रास्ता है। दोनों शिखरों पर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता लिये हुए पहाड़ की चट्टानों में तराशी गई शताधिक गुफाएँ हमें आकर्षित करती हैं। ___ मांगी पहाड़ पर सात प्राचीन मंदिर हैं। यह सीताजी की तपोभूमि है। इस पहाड़ी पर स्थित कृष्ण कुण्ड के स्थल पर नारायण श्रीकृष्ण का परलोक गमन हुआ था। समीप ही बलभद्र गुफा है, जिसमें अनेक मूर्तियाँ विद्यमान हैं। तुंगी पहाड़ी पर पांच मन्दिर, भगवान् चन्द्रप्रभ और भगवान् राम की गुफा है। दोनों शिखरों के बीच के पथ पर शुद्ध और बुद्ध मुनि की दो गुफाएं हैं। पद्मासन मुद्रा में विराजमान 21 फीट ऊँची भगवान् मुनिसुव्रतनाथ की विशाल प्रतिमा है। सभी मूर्तियां भारतीय जैन संस्कृति की ऐतिहासिक एवं महत्त्वपूर्ण धरोहर हैं। अधिकांश मूर्तियाँ छठी शताब्दी (सन् 594) में स्थापित की गई हैं। ध्यातव्य हो कि माताजी ने यह घोषणा की है कि भगवान् आदिनाथ का महामस्तकाभिषेक प्रति 6 वर्ष के अन्तराल से होगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि इस ऋषभगिरि तीर्थ के प्रथम पीठाधीश श्री रवीन्द्रकीर्ति होंगे। -डॉ. आलोक कुमार जैन उपनिदेशक, वीर सेवा मन्दिर (जैनदर्शन शोध संस्थान) नई दिल्ली
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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