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________________ अनेकान्त 69/2, अप्रैल-जून, 2016 अहिच्छत्रा का पुरातात्त्विक वैभव - लाल बहादुर सिंह ईसा पूर्व छठी शताब्दी के सोलह महाजनपदों में से पंचाल महाजनपद एक था। उसमें वर्तमान उत्तरप्रदेश का रूहेलखण्ड और उसका समीपवर्ती क्षेत्र सम्मिलित था। पंचाल का विस्तार उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में चंबल और यमुना नदियों तक तथा पूर्व में गोमती नदी तक था। उसके पश्चिम में शूरसेन तथा उत्तर-पश्चिम में कुरू महाजनपद थे। गंगा नदी पूरे पंचाल महाजनपद को दो भागों में बाँटती थी। गंगा नदी के उत्तर में उत्तर पंचाल की राजधानी अहिच्छत्रा थी तथा दक्षिण में दक्षिण पंचाल की राजधानी काम्पिल्य थी। अहिच्छत्रा की पहचान वर्तमान बरेली से 32 कि.मी. दूर रामनगर से की गयी है। वहाँ के अहिच्छत्रा गाँव के समीप प्राचीन नगर के अवशेष मिले हैं। जिला बरेली उ.प्र. में आँवला स्टेशन से रामनगर ग्राम 18 कि.मी. दूर है। यही अहिच्छेत्र तीर्थस्थान है। आधुनिक रामनगर में अक्षांश 28.5 तथा 79.2550 में स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए रेल द्वारा बरेली से आँवला आना पड़ता है। आँवला रेलवे स्टेशन से अहिच्छेत्र तक 16 कि. मी. दूर अहिच्छत्रा के प्राचीन दुर्ग के ध्वंसावशेष बिखरे हुए हैं। जो वर्तमान में 'आदिकोट' के नाम से विख्यात है। इस कोट के विषय में जनश्रुति है कि उसे राजा आदि ने बनवाया। कहते हैं कि यह अहीर था। एक दिन जब वह किले की भूमि पर सो रहा था तब उसके ऊपर एक नाग ने छाया कर दी थी। पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य ने उसे इस अवस्था में देखकर भविष्यवाणी की थी कि वह एक दिन राजा बनेगा। आगे चलकर यह भविष्यवाणी सच निकली। वैदिक साहित्य में अहिच्छत्रा का प्राचीन नाम 'परिचक्रा' मिलता है। संभवतः उस समय नगर का स्वरूप चक्राकार या गोलाकार रहा हो। पुराणों में 'पंचाल' जनपद का नाम पड़ने के पीछे कुछ इस प्रकार की कहानी है- “यहाँ के राजा भृम्यश्व (जो अजामीठ की छठी पीढी में थे)
SR No.538069
Book TitleAnekant 2016 Book 69 Ank 01 to 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2016
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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