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________________ अनेकान्त 68/1, जनवरी-मार्च, 2015 के सामान्य संदर्भ में था। लेकिन नंदीसूत्र, और तत्त्वार्थ आदि के काल में इन भेदों को स्पष्ट रूप से गुणप्रत्यय अवधिज्ञान के भेद के रूप में स्वीकार कर लिया जाना उचित ही प्रतीत होता है। क्योंकि भवप्रत्यय का संबन्ध नारकी, देवता से है जिसमें अननुगम, प्रतिपात आदि का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। संदर्भ सूची : ___ 1. सर्वार्थसिद्धि 1.9, हारीभद्रीय नंदीवृत्ति, पृ.8, मलयगिरि नंदीवृत्ति, पृ.65, ध वला पृ.9, सूत्र 4.1.2, पृ. 13 2. तत्त्वार्थराजवार्तिक 1.9.2 ___3. मलयगिरि, नंदीवृत्ति, पृ. 65 4. विशेषावश्यकभाष्य गाथा 82..... हारिभद्रीय नंदीवृत्ति पृ. 8। मलयगिरि, नंदीवृत्ति, पृ. 65 5. तत्त्वार्थ सूत्र 1.28, सर्वार्थसिद्धि, 1.27 विशेषावश्यकभाष्य गाथा 82, नंदीचूर्णि पृ. 11,12, हरिभद्रीय नंदीवृत्ति पृ. 8, मलयगिरि, नंदीवृत्ति, पृ. 65 और पृ. 71 6. सर्वार्थसिद्धि, भारतीय ज्ञानपीठ, ग्यारहवां संस्करण, सन 2002, पृ. 1.27 7. विशेषावश्यकभाष्य, गाथा 82, सर्वार्थसिद्धि,1.9, तत्त्वार्थराजवार्तिक ___1.9.3, धवला पु. 9, सूत्र 4.1.2, मलयगिरि नंदीवृषि, पृ. 65 8. तत्वार्थराजवर्तिक, 1.9.3 ___9. धवला पु. 9, सूत्र 4.1.2 पृ. 13 10. धवला, पु.9, सूत्र 4.1.2, पृ. 12 11. जैनतर्कभाषा, पृ. 24 12. तत्त्वार्थसूत्र, अध्याय 1.27 13. षट्खंडागम, पुस्तक 13 (द्वितीय आवृत्ति), सोलापुर, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सन 1993, पृ. 210-211 ____14. षट्खण्डागम, पुस्तक 6, पृ. 25 __15. कषायपाहुड (जयधवला/महाधवल) प्रथम भाग, चौरासी मथुरा (उ.प्र.) भारतवर्षीय दि. जैन संघ, सन् 2003, पृ. 13 16. तत्त्वार्थराजवार्तिक,पृ. 319 17. षटखण्डागम, पुस्तक 1, सन् 1939, पृ. 93 18. अभयचन्द्रसिद्धांत चक्रवर्तीकृत (डॉ. गोकुलचन्द्र जैन), कर्मप्रकृति, नई दिल्ली, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, पृ. 18 19. पंचसंग्रह, काशी, भारतीय ज्ञानपीठ, सन 1960, गाथा 123, पृ. 26-27 20. आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धांत चक्रवर्ती, गोम्मटसार (जीवकांड), भाग-2, सन्
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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