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________________ अनेकान्त 68/4, अक्टू-दिसम्बर, 2015 किया है। यथा- प्राकृत, संस्कृत, कन्नड़ और हिन्दी। इनमें से कन्नड़ भाषा में लिखित ग्रंथों में कन्नड़ लिपि का प्रयोग किया गया है, शेष तीन भाषाओं, प्राकृत, संस्कृत और हिन्दी में लिखित ग्रंथों में देवनागरी लिपि को माध्यम बनाया गया है। कन्नड़ लिपि में लिखित कुछ ग्रंथों की लिपि तो कन्नड़ है किन्तु भाषा संस्कृत है। ज्ञात हुआ है कि मेघमुनि नामक एक विद्वान ने गुरूमुखी लिपि (पंजाबी भाषा) में 'मेघ विनोद' नामक गंथ की रचना की थी जिसे मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन एवं श्री सुन्दरलाल जैन ने हिन्दी में अनुवाद कराकर अपने यहाँ से प्रकाशित कराया था। जैनायुर्वेद के जिन हस्तलिखित ग्रंथों (उपलब्ध या अनुपलब्ध) की जानकारी विभिन्न स्रोतों से उपलब्ध हुई है उनका विवरण निम्नवत् है। 1. श्री समन्तभद्राचार्य -अष्टांग संग्रह, सिद्धांत रसायन कल्प, पुष्पायुर्वेद 2. श्री पूज्यपाद स्वामी - कल्याणकारक, रत्नाकरौषधयोग ग्रंथ, वैद्यसार, भैषज्य गुणार्णव, निदान मुक्तावलि, मदनकामरत्न, विद्या विनोद, पूज्यपाद वैद्यक, नाड़ी परीक्षा, वैद्यक शास्त्र 3. सोमनाथ - कल्याणकारक (कन्नड़) 4. कुन्दकुन्द - वैद्यगाहा 5. अमृतनन्दिन् - अकारा दि निघण्टु 6. यश:कीर्ति - जगत् सुन्दरी प्रयोग माला 7. पं. हरपाल - वैद्यशास्त्र (प्राकृत), योग निधान 8. दुर्ग देव - रिष्ट समुच्चय (ज्योतिष-आयुर्वेद) 9. मंगराज - खगेन्द्र मणि दर्पण (कन्नड़) 10. पार्श्व देव - सुकर योग रत्नावलि 11. देवेन्द्र मुनि - बाल ग्रह चिकित्सा 12. श्रीधर देव - वैद्यामृत 13. पद्मनन्दि 14. पद्सेन,15. धनंजय 16. रेवण सिंह- वैद्यक निघण्टु 17. माणिक्यचन्द्र जैन - रसावतार 18. नारायण शेखर जैन - योग रत्नाकर, वैद्यवृन्द, वैद्यामृत, ज्वर निर्णय 19. अनन्त देव सूरि - रस चिंतामणि
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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