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________________ 60 अनेकान्त 68/4, अक्टू-दिसम्बर, 2015 स्वामी और पूज्यपाद जैसे भिषगाचार्य द्वारा आयुर्वेदाधारित अनेक ग्रन्थों का सर्जन किया गया था जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं है और यदि उपलब्ध है भी तो दुर्लभ एवं अप्रकाशित हैं। उदाहरणार्थ आचार्य समन्तभद्र स्वामी द्वारा विरचित सिद्धांत रसायन कल्प, पुष्पायुर्वेद, अष्टांग संग्रह आदि। इसी प्रकार पूज्यपाद स्वामी द्वारा ‘कल्याणकारक' ग्रंथ का उल्लेख तो मिलता है, किन्तु वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। इसी प्रकार उनकी अन्य कृतियों-ग्रन्थों में शालाक्यतंत्र, निदान मुक्तावलि, नाड़ी परीक्षा आदि का उल्लेख मात्र मिलता है। इसके अतिरिक्त पात्र केसरि द्वारा रचित शल्य तंत्र, सिद्धसेन कृत विष एवं उग्रग्रह शमन विधि का भी उल्लेख मिलता है। पं. आशाधर द्वारा आयुर्वेद के ग्रंथ अष्टांग हृदय पर अत्यन्त विद्वत्तापूर्ण टीका लिखी गई थी जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। ___जैनाचार्यों की यह विशेषता रही है कि उन्होंने ग्रन्थ रचना करते समय जन सामान्य में प्रचलित भाषा का विशेष ध्यान रखा। प्राचीनकाल में प्राकृत व पाली जन साधारण की भाषाएं थी। कालान्तर में धीरे-धीरे इनका विकास हुआ और व्याकरण का आधार पाकर इन भाषाओं ने साहित्यिक सामर्थ्य की गरिमा प्राप्त की। इसका सुपरिणाम यह हुआ कि इन भाषाओं में विपुल साहित्य का निर्माण हुआ। विद्वानों आचार्यों ने आयुर्वेद पर आधारित अनेक ग्रन्थों की रचना की, किन्तु हमारे प्रमाद एवं अज्ञान के कारण अनेक ग्रन्थ काल कवलित हो गए हैं। अनेक ग्रन्थ ऐसे हैं जो देश के विभिन्न ग्रन्थ भण्डारों में यत्रतत्र बिखरे पड़े हैं। उनकी कोई खोज खबर लेने वाला नहीं है। ऐसे ही प्राकृत भाषा में रचित आयुर्वेद के दो महत्वपूर्ण ग्रंथों- १. योग निधान और २. प्राकृत वैद्यक को स्व. पं. कुन्दनलाल जैन, दिल्ली ने खोज निकाला था। इसका उल्लेख उन्होनें अपने लेख में किया था। उन्होंने लिखा है कि ये ग्रंथ का एक गुटका (पोथी) में छिपे पड़े थे। जब उस गुटके का एक एक पत्र पलटा तब अचानक हाथ में लगे। पर खेद है कि इस गुटका के आदि-अंत के पन्न ही नहीं थे, कभी फटकर निकल गए होंगे। इनमें बहुत सारी ऐतिहासिक तथ्य पूर्ण सामग्री छिपी रहा करती है। इसी प्रकार सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से प्राकृत भाषा के
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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