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________________ अनेकान्त 68/4, अक्टू-दिसम्बर, 2015 कंटकारी आदि इसी बात के प्रदर्शक हैं कि इनकी रक्षा हो सके। वनस्पतियों में गुण निर्माण- प्रत्येक प्राणी जानता है कि पौधे पृथ्वी से व सूर्य से तथा वायु से अपना जीव निर्वाह करते हैं। पृथ्वी से वे जितना पदार्थ ग्रहण करते हैं उससे कहीं अधिक वे वायु से पोषक पदार्थ ग्रहण करते हैं। वायु के संयोजक पदार्थों में से एक प्रकार का वायव्य (कार्बन द्विपोषित) अधिक परिमाण में इन वनस्पतियों द्वारा संग्रहीत है। अतः सर्व प्रधान शक्ति वायु जनित होती है, सूर्य से भी बहुत कुछ संग्रह करती हैवनस्पतियों के पत्र श्वास-प्रश्वास का कार्य करते हैं- जैसे हम शरीर के भीतर की दुषित वायु को प्रश्वास द्वारा त्याग करके श्वास द्वारा शुद्ध वायु को ग्रहण करते हैं- वैसे ही वनस्पतियों में यह कार्य सूर्य की रश्मियों द्वारा उनके पत्रों पर स्वयमेव सम्पादित हो जाता है। इस प्रकार सूर्य रश्मियों के ग्रहण से उनमें एक प्रकार की आग्नेय शक्ति (ताप) का संचय होता है। पृथ्वी से वे जल तथा अन्य पोषक पदार्थ ग्रहण करते हैं। सूर्य की तरह अन्य कई ग्रह-उपग्रहों से उन्हें अन्य शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। जैसे चन्द्रमा से सोम या शीत प्रधान अंशादि। इस प्रकार वनस्पतियों में कई प्रकार के पदार्थों व शक्ति का संचय होता है। वनस्पति व त्रिदोष- उपर्युक्त क्रमों से यह विदित होता है कि वायु-सोम (द्रव्य) द्वारा वनस्पतियों का जीवन है. जिनपदार्थों से जिसका निर्माण होगा- उसमें वही पदार्थ अधिक पाये जायेंगे, इनको ही प्राचीन चिकित्सकों ने ध्यान में रखकर वात-पित्त-कफ की उपस्थिति का ज्ञान प्राप्त किया था और शरीर में वात-पित्त-कफ से उत्पन्न व्याधियों में इन औषधियों के इन प्रधान गुणों को लक्ष्य करके उपयोग किया है। प्राणी वर्ग के चाहे छोटे से छोटा जीव हो या बड़े से बड़ा सभी को जीवन के मुख्य लक्षणों में गुजरते रहने से जीवन क्रियाओं में बहुत कुछ साम्य है और विशेषकर वनस्पति व मनुष्यों में तो हर प्रकार से सादृश्य देखा जाता है। अतः त्रिदोष की साम्य प्रकृति का 'सोम' 'सूर्य' के द्वारा पालित-पोषित होने पर हर प्रकार से होता है। आयुर्वेद में वनस्पतियों को उनके गुणावगुण द्योतनार्थ पांच विभागों में विभक्त किया गया है- रस-गुण-वीर्य-विपाक व शक्ति, जिनके कई
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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