SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 322
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकान्त 68/4 अक्टू - दिसम्बर, 2015 यह वृक्ष प्रायः सभी प्रान्तों में पाया जाता है पर बंगाल में अधिक होता है। इसके बीजों में तेल होता है। विषम ज्वर में छाल देते हैं। मुख पाक में 34 फल के फांट से कुल्ला कराते हैं।" ११. पाटल- भ. वासुपूज्य का कैवल्य वृक्ष संस्कृत- पाटला, पाटलि, अमोघा मधुदूती, फलेरुहा, कृष्णवृन्ता, कुबेराक्षी, कालस्थली, अलिवल्लभा, हिन्दी- पाढल, पाडर, पारल लैटिन Stereo spermumsuveo lens D.C. यह प्रायः समस्त भारत में शुष्क भागों में पाया जाता है। पाटल कषाय, तिक्त तथा त्रिदोषहर है । अरुचि, श्वास, शोध, अर्श, वमन, , हिचकी, तृषा और रक्त विकार को मिटाने वाला है। फूलों को जल में रखने से उनका सुवास उतरता है । " १२. जम्बू- भ. विमलनाथ का कैवल्य वृक्ष संस्कृत- फलेन्द्रा, नंदी, राजजम्बू, महाफला, सुरभिपत्रा, महाजम्बू। हिन्दी बड़ी जामुन, फरेन्द्र, फरेन, फडेना, फलेन्द्र, राजजामुन । लैटिन Eugenia Jambolana Lam अत्यन्त शुष्क भागों को छोड़कर जामुन सभी प्रान्तों में पाई जाती है। इसका वृक्ष बड़ा और सदा हराभरा रहता है। जामुन की कोमल पत्ती वमन वन्द करने वाली है। मधुमेह में जामुन की मगज से लाभ होता है। फलों का उत्तम आसव बनता है, वह मुधमेह, अतिसार, संग्रहणी और ऑब में दिया जाता है।" १३. अश्वत्थ ( पीपल) भ अनन्तनाथ का कैवल्य वृक्ष संस्कृत अश्वत्थ, पीपल, बोधिडु, चलपत्र, गजाशन, हिन्दी- पीपलवृक्ष लैटिन Ficus religiosa Linn. पीपल का वृक्ष इस देश के प्रायः सभी प्रांतों में पाया जाता है। यह बहुत ऊँचा, घना और विस्तारयुक्त होता है। प्राणवायु उत्सर्जित करने में पीपल का स्थान सर्वप्रथम है। मूत्र संग्रहणीय दस औषधियों में चरक ने पीपल को गिनाया है। रोग निवारक वस्ति (एनीमा) में महर्षि चरक छाल का प्रयोग करते थे।
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy