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________________ अनेकान्त 68/3, जुलाई-सितम्बर, 2015 ऋषियों को अरिष्टनेमिकालीन अंगीकार किया है।" बीसवें उक्कल अध्ययन में ऋषि का नाम नहीं है । उनके द्वारा प्रदत्त सूची इस प्रकार है : महावीर कालीन अम्बड, आर्द्रक, इन्द्रनाग, पुष्पशालपुत्र, मंखलिगोशालक, महाकाश्यप, मेतार्य भयालि, वर्द्धमान, वल्कलचीरी, वारत्रक, वृजिक पुत्र ( वज्जियपुत्त), साचिपुत्र = 12 ऋषि अंगर्षि, कूर्मापुत्र, केतलिपुत्र, गर्दभाल (दकभाल), गाथापति पुत्र तरुण, तेतलिपुत्र, पार्श्व, पिंग, बाहुक, मधुरायण, माङ, विदु, संजय, हरिगिरि = 14 ऋषि अरिष्टनेमिकालीन- असित देवल, आर्यायण, उद्दालक, ऋषिगिरि, तारायण, द्वैपायन, नारद, महाशालपुत्र अरुण, यम, याज्ञवल्क्य, रामपुत्र, वरुण, वर्षपकृष्ण, वायु, वैश्रमण, शौर्यायण, श्रीगिरि, सोम = 18 ऋषि पार्श्वकालीन 17 इन ऋषियों में कौन किस परम्परा से सम्बद्ध है, इसका निश्चित निर्धारण करना कठिन है। इसका एक कारण है सार्वभौम आध्यात्मिक उपदेशों का संकलन । डॉ. शूब्रिंग के अनुसार याज्ञवल्क्य, बाहुक, महाशालपुत्र अरुण, उद्दालक, असित देवल, अंगरिसि और विदु स्पष्टतया औपनिषदिक परम्परा के ऋषि हैं। पिंग, ऋषिगिरि और श्री गिरि को ब्राह्मण-परिव्राजक तथा अम्बड को परिव्राजक कहा गया है, अतः ये वैदिक ऋषि होने चाहिए। भारद्वाज गोत्र से सम्बद्ध होने के कारण अंगरिसि ब्राह्मण परम्परा से सम्बद्ध थे, किन्तु आवश्यक निर्युक्ति, उसकी चूर्णि तथा ऋषिमण्डल आदि ग्रन्थों में अंगरिसि (अंगर्षि) का वर्णन आने से ये जैन साहित्य में भी प्रतिष्ठित रहे। सूत्रकृतांग के अनुसार असित देवल, रामपुत्र, तारायण, बाहुक एवं द्वैपायन वैदिक परम्परा के ऋषि थे। नारद को ब्राह्मण परम्परा का ऋषि माना जाता है। डॉ. शूब्रिंग ने साचिपुत्र, वज्जियपुत्त और महाकाश्यप को बौद्ध परम्परा से सम्बद्ध माना है। मंखलि गोशालक आजीवक सम्प्रदाय के प्रवर्तक थे। आर्द्रक, कूर्मापुत्र, केतलिपुत्र आदि ऋषियों को निर्ग्रथ परम्परा से जोड़ा जाता है। यहाँ पर उल्लेखनीय है कि इसिभासियाई के अध्ययन क्रमांक 4,20,25,32,34,37 एवं 38 को छोड़कर शेष 38 अध्ययनों में ऋषियों के नाम के साथ ‘अरहता इसिणा बुइतं' वाक्यांश प्रयुक्त हुआ है, जिसका अभिप्राय है कि ये ऋषि अर्हत् थे । ऋषिमण्डल ग्रन्थ के अनुसार सभी 45
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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