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________________ 88 अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 जो अनुष्ठान करता है, वह प्रायश्चित नाम का तपः कर्म है । ५४ इनके आलोचना, प्रतिक्रमण-तदुभय- विवेक - व्युत्सर्ग- तप - छेद - परिहार- उपस्थापना नौ भेद हैं 194 उत्सर्ग (कायोत्सर्ग) :- शरीर ममत्व तथा अन्तरंग और बहिरंग परिग्रह के समागम का त्याग करना मुनि का व्युत्सर्ग तप है।" जो शरीर से पूर्णतया निर्ममत्व होते हैं, उन साधुओं के उत्सर्ग तप है जो शरीर पोषण में लगा रहता है उससे यह तप कैसे होगा ? इसके अंतरंग उपाधि और बहिरंग उपाधि दो भेद हैं। इस तप के प्रभाव से कर्मक्षय होते हैं। ऋद्धियाँ प्राप्त होती हैं। स्वाध्याय :- स्वयं के अध्याय का अध्ययन जिसमें हो, उसका नाम स्वाध्याय है । वट्टकेर आचार्य कहते हैं कि जिनोपदिष्ट बारह अंगों और चौदह पूर्वो का उपेदश करना, प्रतिपादन आदि करना स्वाध्याय है। यह परम तप है क्योंकि कर्मों की निर्जरा का जितना समर्थ कारण स्वाध्याय है, उतना अन्य तप नहीं। स्वाध्याय की महिमा शास्त्रों में विस्तार से वर्णित है । स्वाध्याय के पांच भेद बाचना, पृच्छना, अनुप्रेक्षा, आम्नाय और धर्मोपदेश हैं। स्वाध्याय का फल केवलज्ञान प्राप्ति कहा गया है ।" आचार्य सकलकीर्ति का कहना है 'जो मुनि श्रेष्ठ कालशुद्धि, द्रव्यशुद्धि, क्षेत्रशुद्धि और श्रेष्ठ भाव शुद्धि को धारण कर स्वाध्याय में सिद्धान्त ग्रंथों का पठन-पाठन करते हैं, उनको समस्त ऋद्धि आदि श्रेष्ठ गुणों के साथ समस्त श्रुतज्ञान प्राप्त हो जाता है । ९ अतः स्वाध्याय नियमपूर्वक करना परमावश्यक है। विचार यह करना है कि किसका ध्यान, कौन सा ध्यान कार्यकारी है ? आचार्य उमास्वामी द्वारा समाधान दिया गया है वे कहते हैं “उत्तम संहनन वाले एक विषय में चित्तवृत्ति का रोकना ध्यान है, जो अन्तर्मुहूर्त काल तक होता है।° अर्थात् उत्तम संहनन धारी पुरुष ही ध्याता हो सकते हैं। एक पदार्थ को लेकर चित्त को उसी में स्थिर कर देना ध्यान है। ध्यान के आर्त्त रौद्र धर्म्य और शुक्ल चार भेद हैं अन्य प्रकार से निश्चयध्यान और व्यवहारध्यान अथवा प्रशस्तध्यान और अप्रशस्तध्यान रूप से भी भेद बताये गये हैं। अन्तरंग की सिद्धि के लिए जैसे वटलोई को तपाते हो, पर वटलोई को तपाने मात्र पर दृष्टि नहीं है । दृष्टि दूध पर है, उसी प्रकार मुमुक्षु जीव
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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