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________________ अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 आयोजन किया गया जो इस प्रयास में अगला कदम था। इस सम्मेलन में यह बात उभर कर सामने आई कि महाशक्तियाँ अपने फेसले दूसरे पर न लादे। इस सम्मेलन में अनुमोदित सिद्धांत निर्गुट आंदोलन के आधार बने। वर्तमान में निर्गुट देशों की संख्या 118 है। इनके द्वारा आयोजित शिखर सम्मेलन में मुख्य रूप से जिन पर विचार विमर्श हुआ वह निम्न है1. नि:शस्त्रीकरण और आणविक परीक्षणों पर रोक लगाना। 2. विश्वशांति और आणविक परीक्षणों पर रोक लगाना। 3. राष्ट्रों के अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को हल करने में शांतिपूर्ण वार्ता का मार्ग अपनाने पर बल दिया गया। 4. महाशक्तियों से अपील की गई कि वे हथियारों की स्पर्धा को समाप्त करे तथा विश्वयुद्ध का खतरा समाप्त करने के लिए वार्तालाप प्रारंभ करे। 5. भारत द्वारा रखे गए आतंकवाद प्रस्ताव पर सदस्य देशों द्वारा आतंकवाद के विरूद्ध कार्यवाही की मांग करना। 6. सदस्य राष्ट्रों द्वारा पृथ्वी रक्षा कोष की स्थापना पर सहमति। 7. बारहवाँ गुट निरपेक्ष सम्मेलन का मुख्य ध्यान व वार्तालाप तीन प्रमुख मुद्दों-शांति निःशस्त्रीकरण तथा विकास पर केन्द्रित रहा प्रदूषण को कम कर पर्यावरण की रक्षा करना। गुटनिरपेक्षता की उपलब्धियाँ - ____ 1. अन्तर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा में बढ़ावा। 2. विश्वशांति की स्थापना में सकारात्मक भूमिका। 3. नयी अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का मांग। 4. विश्व लोकमत के निर्माण में सहायक। संसार के जितने भी विद्वान् अनेकान्त तर्क पद्धति के परिचय में आते हैं, वे सभी इस पर मुग्ध हो जाते हैं। डॉ. हर्मन जेकोबी, डॉ. स्टीनकोनो, डॉ. टेसीटोरी, डॉ. पारोल्ड, जार्ज बर्नाड शा, जैसे चोटी के पाश्चात्य विद्वानों ने इस सिद्धान्त की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की है स्याद्वाद या अनेकान्त किसी भी विषय के दो अन्तों को छोड़कर शांति का मध्यम मार्ग ग्रहण करने का आदेश देता है। _ भारतीय संस्कृति के विशेषज्ञ मनीषी डॉ. रामधारीसिंह दिनकर का स्पष्ट अभिमत है कि स्यादवाद का अनुसन्धान भारत की अंहिसा साधना
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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