SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 गुटनिरपेक्षता का सिद्धान्त और अनेकान्त ___ - डॉ. श्रीमती कृष्णा जैन मुख्य रूप से गुटनिरपेक्षता का अर्थ है किसी भी देश के साथ सैनिक गुटबन्दी में सम्मिलित न होना, हर प्रकार की आक्रमण सन्धि से दूर रहना, शीत युद्ध से अपने को पृथक रखना तथा राष्ट्रहित का ध्यान रखते हुए न्यायोचित पक्ष में अपनी विदेश नीति का संचालन करना। गुटनिरपेक्षता की नीति का उद्देश्य विश्वशांति, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय के लिए निरन्तर प्रयास करना है। गुटनिरपेक्षता की नीति को सर्वप्रथम व्यावहारिक रूप देने का श्रेय भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू को है। गटनिरपेक्षता की नीति अपनाते समय पं. नेहरू ने कहा था कि- यदि हमने अपने को किसी एक गुट के साथ जोड़ लिया तो एक प्रकार से शायद यह अच्छा कदम सिद्ध होगा। उन्होंने गुट निरपेक्षता को परिभाषित करते हुए कहा कि "गुटनिरपेक्षता का अर्थ है सैनिक गुटों से अपने आपको अलग रखने का किसी देश द्वारा प्रयत्न करना। इसका अर्थ है जहाँ तक हो सके तथ्यों को सैन्य दृष्टि से न देखना तथा चाहे कभी-कभी ऐसा करना भी पड़ता है, परन्तु हमारा स्वतंत्र दृष्टिकोण होना चाहिए तथा सारे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध होने चाहिए। ___1961 में गुट निरपेक्षता के तीन कर्णधारों- पं. नेहरू, कर्नल नासिर और मार्शल टीटो ने इसके पाँच आधार स्वीकार किये थे1. सदस्य देश स्वतंत्र नीति पर चलता हो। 2. सदस्य देश उपनिवेश का विरोध करता हो। 3. सदस्य देश किसी सैनिक गुट का सदस्य न हो। 4. सदस्य देश ने किसी बड़ी ताकत के साथ द्विपक्षीय समझौता न किया
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy