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________________ 56 अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 शती खंडित चौबीसी 12वीं शती ई0 की प्रतिमाएं लखनऊ संग्रहालय में सुरक्षित हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि महोबा जैन मूर्ति शिल्प का भण्डार रहा होगा। तथा कई जैन मंदिर मिट्टी की गर्त में दबे पड़े होंगे। अतिशय क्षेत्र बानपुर महावीर की महक शान्ति का सौम्य यहां अर्पण है। जैनधर्म के तीर्थ बानपुर तुमको कोटि नमन है॥ बाइस भुजी अनुपम गणेशजी, शांतिनाथ का आलय। भारत भर में अद्वितीय है सहस्रकूट चैत्यालय॥ - कैलाश मडवैया उत्तरप्रदेश के झाँसी संभाग में बुन्देलखण्ड के जिला ललितपुर से 48 कि0मी0 तहसील महरौनी से 14 कि0मी0 बानपुर स्थित है। महाभारत में बानपुर का बाणपुर नाम से अनेक स्थलों पर उल्लेख हुआ है। पौराणिक गाथाओं के अनुसार वाणासुर दैत्य यहां राज्य किया करता था। यहाँ पर लगभग 280X200 फुट के क्षेत्रीय में श्री 1008 अतिशय दिगम्बर जैन क्षेत्र अवस्थित है जिसके अन्तर्गत 10वीं शती ई0 के पूर्व तक की मूर्तियां विद्यमान हैं। प्रांगण में पांच विशाल मंदिर स्थित है। इस निर्जन क्षेत्र को ग्राम-वासी 'खिराडल' के नाम से जानने लगे थे। सन् 1940 के आसपास प्रातः स्मरणीय मुनि 108 श्री श्रुतसागर जी महाराज वानपुर पधारे और इस क्षेत्र का दर्शन कर दंग रह गए। उन्होंने इसे अपना साधना स्थल बनाया और यही क्षण इस क्षेत्र के लिए पुनर्जीवन का प्रारंभ बन गया। यहीं पर भगवान् शांतिनाथ की 18फुट ऊँची मूर्ति विराजमान है। जनश्रुति यह भी है कि वि0स0 1001 के आसपास 'देवपाल' नाम के एक बानपुर निवासी ग्वाला (गहोही) की धर्मपत्नी ने एक रात स्वप्न में जिनेन्द्रदेव के दर्शन किए। उसकी पत्नी जैनधर्म की परमभक्त थी। उसी की प्रेरणा से देवपाल ने जैनध र्म स्वीकार कर यहाँ मूर्तियों का निर्माण करवाया। भगवान् शांतिनाथ जी की प्रतिमा के दोनों ओर प्राप्त पादमूल में उत्कीर्ण शिलालेख से भी निर्माता के नाम की पुष्टि होती है। मंदिर संख्या एक में भगवान् ऋषभनाथ जी वेदी पर स्थापित है। मूर्ति पर सन् 1142 स्पष्ट अंकित है। मूर्ति की ऊँचाई लगभग डेढ़ फुट है। मंदिर संख्या दो के बाहरी भाग में एक विशाल आठ फुट ऊँची
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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