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________________ अनेकान्त 68/2, अप्रैल-जून, 2015 6. कृषि पारिस्थितिकी (Agriculture Ecology) 7. वानिकी (Forestry) 8. मत्स्य पालन जीवविज्ञान (Fishery Biology) 9. वन्य जीव प्रबंध (Wild life Management) 10. अंतरिक्ष पारिस्थितिकी (Space Ecology) 11. मानुष पारिस्थितिकी (Human Ecology) आज पर्यावरण को व्यापक आधार देते हुए पाँच बातों पर ध्यान केन्द्रित किये जाने की आवश्यकता है; यथा 1. Ecology =पारिस्थितिकी 2.Economics =अर्थशास्त्र 3. Energy=ऊर्जा ___ 4.Employment =रोजगार 5.Equity =समानता उक्त पाँच बातों के समन्वय से ही पर्यावरण को सुरक्षित बनाया जा सकता है। हमारे आसपास जो दिखाई देता है वह वायु, जल, मिट्टी (पृथ्वी), आकाश, मनुष्य, पेड़-पौधे, समुद्रीजीव-जन्तु, पक्षी सभी पर्यावरण के अंग हैं। एक का अभाव दूसरे के जीवन को असुरक्षित कर देगा। यह मात्र कल्पना नहीं अपितु यथार्थ है। डगलस व हॉलेंड के अनुसार- "पर्यावरण या वातावरण वह शब्द है जो समस्त बाह्य शक्तियों, प्रभावों और परिस्थितियों का सामूहिक रूप से वर्णन करता है, जो जीवधारी के जीवन, स्वभाव, व्यवहार और अभिवृद्धि, विकास तथा प्रौढ़ता पर प्रभाव डालता है।" अतः जो कुछ भी हमारे चारों ओर विद्यमान है और जो हमारे रहन-सहन की दशाओं तथा मानसिक क्षमताओं को प्रभावित करता है; वही पर्यावरण कहलाता है। सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् के अनुसार- पर्यावरण विश्व का समग्र दृष्टिकोण है। सामाजिक, आर्थिक तंत्रों, जैविक/अजैविक रूपों के व्यवहार, आचारपद्धति तथा स्थान की गुणवत्ता; वे गुणों के आधार पर एक-दूसरे से अलग होते हैं; ये सभी पर्यावरण के साथ कार्य करते हैं।" । पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 2 (क) से पर्यावरण की परिभाषा इस प्रकार है- पर्यावरण में मानवीय प्राणी, अन्य जीव-जन्तु, पौधे, सूक्ष्म जीवाणु तथा सम्पत्ति में और उनके मध्य विद्यमान
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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